छू मंतर !!
जीता है ऐसे मानो अमर पट्टा लिखा के लाया हो
ज़मीनें ,जायदादें ,दौलतें
सोने चांदी के अम्बार
कारों की क़तारें,घरों की मीनारें
तफ़रीहें,शोहरतें
मोहब्बतें ,नफ़रतें
लेकिन इस तिलस्म में खोया
अभी अभी तो यहीं कहीं था
जाने कहाँ,किधर ग़ुम हो गया
पहले तो कई दिनों तक याद किया जाता था
अब मसले कई ,खबरें नई,
कभी कुछ आधे दिन,या फिर सिर्फ एक खबर
जिसका किसी पर भी
नहीं पड़ता कोई असर
जैसे पी सी सरकार कर देता था
वैसे ही हो जाता है छू मंतर,
फर्क सिर्फ इतना है
पी सी सरकार दुबारा, कर देता था हाज़िर
ऊपरवाली सरकार का नहीं ये दस्तूर !!
जीता है ऐसे मानो अमर पट्टा लिखा के लाया हो
ज़मीनें ,जायदादें ,दौलतें
सोने चांदी के अम्बार
कारों की क़तारें,घरों की मीनारें
तफ़रीहें,शोहरतें
मोहब्बतें ,नफ़रतें
लेकिन इस तिलस्म में खोया
अभी अभी तो यहीं कहीं था
जाने कहाँ,किधर ग़ुम हो गया
पहले तो कई दिनों तक याद किया जाता था
अब मसले कई ,खबरें नई,
कभी कुछ आधे दिन,या फिर सिर्फ एक खबर
जिसका किसी पर भी
नहीं पड़ता कोई असर
जैसे पी सी सरकार कर देता था
वैसे ही हो जाता है छू मंतर,
फर्क सिर्फ इतना है
पी सी सरकार दुबारा, कर देता था हाज़िर
ऊपरवाली सरकार का नहीं ये दस्तूर !!
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