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बुधवार, 31 जनवरी 2018

Grandma's Stories--1122 --An Arabian Story !!

*आदतें नस्लों का पता देती हैं...*

एक बादशाह के दरबार मे एक अजनबी नौकरी  के लिए हाज़िर हुआ ।
क़ाबलियत पूछी गई, कहा, "सियासी हूँ ।" ( अरबी में सियासी , अक्ल से मामला हल करने वाले को कहते हैं ।)
बादशाह के पास राजदरबारियों की भरमार थी, उसे खास "घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज" बना लिया।
चंद दिनों बाद बादशाह ने उस से अपने सब से महंगे और अज़ीज़ घोड़े के बारे में पूछा,
उसने कहा, "नस्ली नही  हैं ।"
बादशाह को ताज्जुब हुआ, उसने जंगल से घोड़े की जानकारी वालो को बुला कर जांच कराई..
उसने बताया, घोड़ा नस्ली हैं, लेकिन इसकी पैदायश पर इसकी मां मर गई थी, ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला है।
बादशाह ने अपने सियासी को बुलाया और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा नस्ली नहीं हैं ?"

""उसने कहा "जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि नस्ली घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता हैं ।"""

बादशाह उसकी परख से बहुत खुश हुआ, उसने सियासी के घर अनाज ,घी, भुने और अच्छा मांस बतौर इनाम भिजवाया।

और उसे रानी के महल में तैनात कर दिया।
चंद दिनो बाद , बादशाह ने उस से बेगम के बारे में राय मांगी, उसने कहा, "तौर तरीके तो रानी जैसे हैं लेकिन राजकुमारी नहीं हैं ।"

बादशाह के पैरों तले जमीन निकल गई, हवास दुरुस्त हुए तो अपनी सास को बुलाया, मामला उसको बताया, सास ने कहा "हक़ीक़त ये हैं,  कि आपके पिता ने मेरे पति से हमारी बेटी की पैदायश पर ही रिश्ता मांग लिया था, लेकिन हमारी बेटी 6 माह में ही मर गई थी, लिहाज़ा हम ने आपकी बादशाहत से करीबी रिश्ते क़ायम करने के लिए किसी और कि बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।"

बादशाह ने अपने सियासी से पूछा "तुम को कैसे जानकारी हुई ?"

""उसने कहा, "उसका नौकरोंं के साथ सुलूक मूर्खो से भी बदतर हैं । एक खानदानी इंसान का दूसरों से व्यवहार करने का एक तरीका एक शिष्टाचार होता हैं, जो रानी में बिल्कुल नहीं । """

बादशाह फिर उसकी परख से खुश हुआ और बहुत से अनाज , भेड़ बकरियां बतौर इनाम दीं साथ ही उसे अपने दरबार मे शामिल कर लिया।

कुछ वक्त गुज़रा, सियासी को बुलाया,अपने बारे में जानकारी चाही।
सियासी ने कहा "जान की खैर हो तो बताऊ ।"

बादशाह ने वादा किया । उसने कहा, "न तो आप बादशाह के पुत्र हो न आपका चलन बादशाहों वाला है।"

बादशाह को ताव आया, मगर जान की खैर दे चुका था, सीधा अपनी माँ के महल पहुंचा ।

माँ ने कहा, "ये सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो, हमारी औलाद नहीं थी तो तुम्हे लेकर हम ने पाला ।"

बादशाह ने सियासी को बुलाया और पूछा , बता, "तुझे कैसे पता हुआ ????"

उसने कहा "बादशाह जब किसी को "इनाम " दिया करते हैं, तो हीरे मोती जवाहरात की शक्ल में देते हैं....लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें देते हैं...ये चलन बादशाह के बेटे का नही,  किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।"

किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, रुतबा, इल्म, बाहुबल हैं ये सब बाहरी चरित्र हैं ।
इंसान की असलियत, उस के खून की किस्म उसके व्यवहार, उसकी नीयत से होती हैं ।

एक इंसान बहुत आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से बहुत शक्तिशाली होने के उपरांत भी अगर वह छोटी छोटी चीजों के लिए नियत खराब कर लेता हैं, इंसाफ और सच की कदर नहीं करता,   अपने पर उपकार और विश्वास करने वालों के साथ दगाबाजी कर देता हैं, या अपने तुच्छ फायदे और स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरे इंसान को बड़ा नुकसान पहुंचाने की लिए तैयार हो जाता हैं, तो समझ लीजिए, खून में बहुत बड़ी खराबी हैं । बाकी सब तो पीतल पर चढ़ा हुआ सोने का पानी हैं ।
( एक अरबी कहानी ) 

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