सौमनस्य : संतुष्टि प्रसन्नता -- दो देशों की वार्ता सहयोग व सौमनस्य के वातावरण में हुई
अपरिमेय :अतुल जिसे नाप तौल न किया जा सके --वैज्ञानिकों को भी ईश्वर की अपरिमेय शक्ति का आभास है
सर्वथा : हर तरह से --उसका कथन सर्वथा असत्य है
कालोचित :समय के अनुकूल --हमारी सामाजिक व्यवस्था कालोचित होनी चाहिए
उद्धत : उजड्ड ,अक्खड़ --उद्धत छात्र शिक्षक से असंतुष्ट रहते हैं
मानक : सुनिर्धारित स्तर ,प्रमाप ,स्टैण्डर्ड --औद्योगिक उत्पादन का मानक स्थिर होना चाहिए
सायुज्य : मेल,संयोग --अंतरिक्ष में मानव के सायुज्य ने आश्चर्यचकित कर दिया
उपस्कर :सामग्री --अब अधिकांश सैनिक उपस्कर देश में ही बनते हैं
प्रत्याख्यान : खंडन,निराकरण --उन्होंने मेरे सुझाव का प्रत्याख्यान किया
स्तब्ध : गतिहीन ,जड़ीभूत --उनका दुर्व्यवहार देख कर मैं स्तब्ध रह गया
प्रत्युत : बल्कि --हमें अपने लिए ही नहीं प्रत्युत समाज के लिए भी जीना चाहिए
भीति :भय --भीति मनुष्य के व्यक्तित्व को नष्ट कर देती है
रोर:कोलाहल--डाकुओं को देख कर रोर मच गया
लुब्ध : ललचाया हुआ --वह लुब्ध दृष्टि से आभूषणों को देख रही थी
दुकूल:रेशमी वस्त्र--प्राचीन काल में भारत वासी दुकूल का प्रयोग करते थे
सत्ता : अधिकार --सत्ता के लोभ में विधायक दाल बदलते हैं
सर्वातोदाक्ष : यह कठिन है की व्यक्ति सर्वतो दक्ष हो
गरिमा : गौरव --देश की गरिमा व्यक्तिगत हितों से ऊपर है
अपरिमेय :अतुल जिसे नाप तौल न किया जा सके --वैज्ञानिकों को भी ईश्वर की अपरिमेय शक्ति का आभास है
सर्वथा : हर तरह से --उसका कथन सर्वथा असत्य है
कालोचित :समय के अनुकूल --हमारी सामाजिक व्यवस्था कालोचित होनी चाहिए
उद्धत : उजड्ड ,अक्खड़ --उद्धत छात्र शिक्षक से असंतुष्ट रहते हैं
मानक : सुनिर्धारित स्तर ,प्रमाप ,स्टैण्डर्ड --औद्योगिक उत्पादन का मानक स्थिर होना चाहिए
सायुज्य : मेल,संयोग --अंतरिक्ष में मानव के सायुज्य ने आश्चर्यचकित कर दिया
उपस्कर :सामग्री --अब अधिकांश सैनिक उपस्कर देश में ही बनते हैं
प्रत्याख्यान : खंडन,निराकरण --उन्होंने मेरे सुझाव का प्रत्याख्यान किया
स्तब्ध : गतिहीन ,जड़ीभूत --उनका दुर्व्यवहार देख कर मैं स्तब्ध रह गया
प्रत्युत : बल्कि --हमें अपने लिए ही नहीं प्रत्युत समाज के लिए भी जीना चाहिए
भीति :भय --भीति मनुष्य के व्यक्तित्व को नष्ट कर देती है
रोर:कोलाहल--डाकुओं को देख कर रोर मच गया
लुब्ध : ललचाया हुआ --वह लुब्ध दृष्टि से आभूषणों को देख रही थी
दुकूल:रेशमी वस्त्र--प्राचीन काल में भारत वासी दुकूल का प्रयोग करते थे
सत्ता : अधिकार --सत्ता के लोभ में विधायक दाल बदलते हैं
सर्वातोदाक्ष : यह कठिन है की व्यक्ति सर्वतो दक्ष हो
गरिमा : गौरव --देश की गरिमा व्यक्तिगत हितों से ऊपर है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें