मुश्किलें इतनी पड़ीं ,
के हर मुश्किल हो गई आसां ,
गर हो जाए कोई काम आसानी से ,
तो हो जाती हूँ हैरां ,
किताबों में छपी भूल भुलैया में ढूँढना रास्ते ,
या आँख मिचौली में ढूंढना किसी हमजोली को
किसी पहेली का ढूंढना जवाब ,
या दौड़ना किसी बाधा दौड़ में
बचपन के ये खेल बन गए मेरी ज़िन्दगी
मुश्किलों को पार कर ढूंढती रही सवालों के जवाब
अब तो बन गई है आदत ,आने लगा इसमें मज़ा ,
बिना मुश्किलों के गर हो जाए काम ,
तो क्या ख़ुशी पा सकता है इंसान ?
हैरां : आश्चर्य चकित,इंसा :इंसान
के हर मुश्किल हो गई आसां ,
गर हो जाए कोई काम आसानी से ,
तो हो जाती हूँ हैरां ,
किताबों में छपी भूल भुलैया में ढूँढना रास्ते ,
या आँख मिचौली में ढूंढना किसी हमजोली को
किसी पहेली का ढूंढना जवाब ,
या दौड़ना किसी बाधा दौड़ में
बचपन के ये खेल बन गए मेरी ज़िन्दगी
मुश्किलों को पार कर ढूंढती रही सवालों के जवाब
अब तो बन गई है आदत ,आने लगा इसमें मज़ा ,
बिना मुश्किलों के गर हो जाए काम ,
तो क्या ख़ुशी पा सकता है इंसान ?
हैरां : आश्चर्य चकित,इंसा :इंसान
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