हर्षित है सबका आनन {चेहरा}
प्रफुल्लित है हम सबका मन
लगता है की जल्दी ही सबका
सुखमय होजाएगा जीवन !
कल्पनातीत ही हो गया था
सुख और भारतीय का संगम
दूरदूर सुख दिखता ना था
मरुभूमि में जैसे जलधन
तभी दिखाई पड़ी धूमिल सी
एक सुनहरी आस किरण
सभी चल पड़े हाथ थाम कर
पकड़ने को उसका दामन
सबकी दृढ इच्छा ने देखो
पूर्ण कर दिए कई स्वपन {स्वप्न}
रंग लाया देखो सबका
सोच समझकर किया चयन
रखवाला पाया था सबने
मन जिसका जैसे दर्पण
देश हो चुका था जर्जर
भ्रष्टाचार खुला नर्तन
देखो इसे सवाँर रहा वह
करके प्रतिक्षण मन मंथन
कर्म ही है इसका भोजन
कर्म ही है इसका ईंधन
सहकर्मी मंत्री भी समझ गए
रहेगा कर्म का सदा चलन
देश के हर कोने पर ध्यान
देश के हर कोने पर ध्यान
देश के हर व्यक्ति का मान
उसकी दृष्टि चारों ओर
देशका है,नायक प्रथम
सौंप के उसको देश की सत्ता
देश हुआ है अब निश्चिन्त
चाहे थोड़ा समय लगे पर
खिल जाएगा यह उपवन
आशा है की ,दीर्घ रहेगा
जन-नायक का यह बंधन
पूर्व की भ्रष्ट सरकार के
उत्पन्न किये भिन्न कारण
जनता को कर जागरूक
ले आये यह परिवर्तन
अति कभी ना हुई चिरंतन {सदैव
शीघ्र हुआ है समापन
ईश्वरका आशीष है या
भारतीयों का है सौभाग्य
मोदीजी का आगमन
देश का चैन - ओ - अमन !
प्रफुल्लित है हम सबका मन
लगता है की जल्दी ही सबका
सुखमय होजाएगा जीवन !
कल्पनातीत ही हो गया था
सुख और भारतीय का संगम
दूरदूर सुख दिखता ना था
मरुभूमि में जैसे जलधन
तभी दिखाई पड़ी धूमिल सी
एक सुनहरी आस किरण
सभी चल पड़े हाथ थाम कर
पकड़ने को उसका दामन
सबकी दृढ इच्छा ने देखो
पूर्ण कर दिए कई स्वपन {स्वप्न}
रंग लाया देखो सबका
सोच समझकर किया चयन
रखवाला पाया था सबने
मन जिसका जैसे दर्पण
देश हो चुका था जर्जर
भ्रष्टाचार खुला नर्तन
देखो इसे सवाँर रहा वह
करके प्रतिक्षण मन मंथन
कर्म ही है इसका भोजन
कर्म ही है इसका ईंधन
सहकर्मी मंत्री भी समझ गए
रहेगा कर्म का सदा चलन
देश के हर कोने पर ध्यान
देश के हर कोने पर ध्यान
देश के हर व्यक्ति का मान
उसकी दृष्टि चारों ओर
देशका है,नायक प्रथम
सौंप के उसको देश की सत्ता
देश हुआ है अब निश्चिन्त
चाहे थोड़ा समय लगे पर
खिल जाएगा यह उपवन
आशा है की ,दीर्घ रहेगा
जन-नायक का यह बंधन
पूर्व की भ्रष्ट सरकार के
उत्पन्न किये भिन्न कारण
जनता को कर जागरूक
ले आये यह परिवर्तन
अति कभी ना हुई चिरंतन {सदैव
शीघ्र हुआ है समापन
ईश्वरका आशीष है या
भारतीयों का है सौभाग्य
मोदीजी का आगमन
देश का चैन - ओ - अमन !
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