पैसा--------
पैसा बन गया इतना महान
अटकी इसमें सबकी जान
ईश्वर ,परमेश्वर ,भगवान
इससे सबकी है पहचान
अब न कोई एक सामान
भले एक से सबमे प्राण
एक काल्पनिक रेखा जिसके
नीचे गरीब ,ऊपर धनवान
इसने बाँटें कितने घर
बाँट दिए कितने मकान
सभी प्रभु की है संतान
पर इसने बाँट दिए इंसान
मापदंड है यही समाज में
यही धूरि और यही मकाम
सारे प्रयास करता है जन जन
इसको पाने के सब संधान
हो जाते है सारे काम
जब पैसे का हो आव्हान
किसी वचन का नहीं वजन
चाहे जब पलटे जबान
जब हो धन का अभाव तो
जीवन मरु है ,रेगिस्तान
अच्छा लागे है आदान
करना ना चाहे प्रदान
किन्तु सारे काम बनाने
मुख्य इसका आदान प्रदान
इसके पेड़ नहीं हैं जग में
ना ही कोई इसकी खान
फिर भी खेती होती इसकी
स्तोत्र निरंतर दे आराम
इससे सबकी आनबान
इससे दिखती उसकी शान
नहीं चाहे करना कोई दान
इससे समाज में है सम्मान !
पैसा बन गया इतना महान
अटकी इसमें सबकी जान
ईश्वर ,परमेश्वर ,भगवान
इससे सबकी है पहचान
अब न कोई एक सामान
भले एक से सबमे प्राण
एक काल्पनिक रेखा जिसके
नीचे गरीब ,ऊपर धनवान
इसने बाँटें कितने घर
बाँट दिए कितने मकान
सभी प्रभु की है संतान
पर इसने बाँट दिए इंसान
मापदंड है यही समाज में
यही धूरि और यही मकाम
सारे प्रयास करता है जन जन
इसको पाने के सब संधान
हो जाते है सारे काम
जब पैसे का हो आव्हान
किसी वचन का नहीं वजन
चाहे जब पलटे जबान
जब हो धन का अभाव तो
जीवन मरु है ,रेगिस्तान
अच्छा लागे है आदान
करना ना चाहे प्रदान
किन्तु सारे काम बनाने
मुख्य इसका आदान प्रदान
इसके पेड़ नहीं हैं जग में
ना ही कोई इसकी खान
फिर भी खेती होती इसकी
स्तोत्र निरंतर दे आराम
इससे सबकी आनबान
इससे दिखती उसकी शान
नहीं चाहे करना कोई दान
इससे समाज में है सम्मान !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें