अगला दिन 26 जनवरी था ,अंजुरी एक मूड अब काफी अच्छा था। घर पहुँच कर उसने अपनी बढ़िया सी स्पीच तैयार कर ली। उसे दो तीन बार आदमकद आईने के सामने बोल बोल कर प्रैक्टिस कर ली। उसने मम्मी से पूछा कि उसकी सफ़ेद सलवार कमीज धुली और प्रेस की हुई रखी है या नहीं ? मम्मी ने मुस्कुराते हुए बताया कि तैयार है।
अंजुरी सुबह अलार्म लगा कर जल्दी ही उठ गई थी। नहा कर तैयार हो कर वह महाविद्यालय की ओर चल पड़ी। पापा भी उठ चुके थे। आज उनके ऑफिस में भी उनके द्वारा झंडा फहराया जाना था और उन्हें आज भी मुख्य अतिथि के तौर पर महाविद्यलय भी जाना था।
अंजुरी महाविद्यालय पहुँची तो उसे अपनी सभी सहेलियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा। उसका कल छाया हुआ सारा अवसाद गुम हो चुका था। उसे आश्चर्य हुआ अभी तक उसे कमल नहीं दिखाई दिया था ,वह आता ही होगा ,यह सोच कर उसने अपने आप को आश्वस्त किया। जो भी छात्र आज के कार्यक्रम में प्रतिभागी थे उन्हें प्रधान सर ने बुलवाया था। आज भी मुख्य संयोजक वे ही थे। उन्होंने अंजुरी से पूछा क्या वह तैयार है ,अंजुरी ने हाँ में अपना सर हिलाया। वह स्टाफ रूम से बाहर आयी तो उसे बाहर कमल दिखाई दिया ,उसका मन खिल उठा। वह मुस्कुराती हुई छात्र छात्राओं के उस झुण्ड की ओर बढ़ी, उन दोनों को इस बात की आश्वस्ति थी कि किसी को भी उन्होंने अपने एकदूसरे के प्रति विशेष कोमल भावों को पता नहीं चलने दिया ,लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि "इश्क {प्रेम }और मुश्क{ इत्र} छुपाये नहीं छुपते, सभी को उनकी एक दूसरे के प्रति कोमल भावनाओं का पता था ,लेकिन वे सभी उन्हें ज्ञात नहीं होने देना चाहते थे क्यूंकि दोनों ही बहुत बड़े और प्रभावशाली परिवारों की संतान थे।
उसी समय तहसीलदार साहब की जीप ने प्रवेश किया,प्राचार्य सहित सभी स्टाफ सदस्यों ने स्वागत किया ,उन्हें कार्यक्रम के स्थान तक ले जाया गया। कमल के पिता भी अपनी कार से पहुंचे। कुछ और भी निमंत्रित अतिथिगण आगे पीछे ही पहुंचे।
झंडा सही समय पर तहसीलदार साहब द्वारा फहराया गया। उसके बाद सभी प्रतिभागी छात्र छात्राओं
ने अपने अपने भाषण या कविता पाठ इत्यादि सुनाया। उसके बाद ही पुरस्कार वितरण आरम्भ हुआ। कमलेश्वर और अंजुरी तथा कैलाश तीनो को ही नाटक में अच्छे अभिनय के लिए पुरस्कार मिला। भांगड़ा और गरबा के लिए सभी छात्राओं को,तथा विशेष घोषित पुरस्कार भी वितरीत किये गए।
कार्यक्रम समापन के पश्चात् सभी के लिए अल्पाहार का आयोजन असेंबली हॉल में ही किया गया था। तहसीलदार साहब और विश्वनाथ सिंह परस्पर भी बातचीत करते दिखाई दिए। 12 बज चुके थे,आज अंजुरी और कमल भी अपने अपने पिताओं के साथ घर की ओर प्रस्थान कर गए। ---क्रमशः ----
अंजुरी सुबह अलार्म लगा कर जल्दी ही उठ गई थी। नहा कर तैयार हो कर वह महाविद्यालय की ओर चल पड़ी। पापा भी उठ चुके थे। आज उनके ऑफिस में भी उनके द्वारा झंडा फहराया जाना था और उन्हें आज भी मुख्य अतिथि के तौर पर महाविद्यलय भी जाना था।
अंजुरी महाविद्यालय पहुँची तो उसे अपनी सभी सहेलियों से मिल कर बहुत अच्छा लगा। उसका कल छाया हुआ सारा अवसाद गुम हो चुका था। उसे आश्चर्य हुआ अभी तक उसे कमल नहीं दिखाई दिया था ,वह आता ही होगा ,यह सोच कर उसने अपने आप को आश्वस्त किया। जो भी छात्र आज के कार्यक्रम में प्रतिभागी थे उन्हें प्रधान सर ने बुलवाया था। आज भी मुख्य संयोजक वे ही थे। उन्होंने अंजुरी से पूछा क्या वह तैयार है ,अंजुरी ने हाँ में अपना सर हिलाया। वह स्टाफ रूम से बाहर आयी तो उसे बाहर कमल दिखाई दिया ,उसका मन खिल उठा। वह मुस्कुराती हुई छात्र छात्राओं के उस झुण्ड की ओर बढ़ी, उन दोनों को इस बात की आश्वस्ति थी कि किसी को भी उन्होंने अपने एकदूसरे के प्रति विशेष कोमल भावों को पता नहीं चलने दिया ,लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि "इश्क {प्रेम }और मुश्क{ इत्र} छुपाये नहीं छुपते, सभी को उनकी एक दूसरे के प्रति कोमल भावनाओं का पता था ,लेकिन वे सभी उन्हें ज्ञात नहीं होने देना चाहते थे क्यूंकि दोनों ही बहुत बड़े और प्रभावशाली परिवारों की संतान थे।
उसी समय तहसीलदार साहब की जीप ने प्रवेश किया,प्राचार्य सहित सभी स्टाफ सदस्यों ने स्वागत किया ,उन्हें कार्यक्रम के स्थान तक ले जाया गया। कमल के पिता भी अपनी कार से पहुंचे। कुछ और भी निमंत्रित अतिथिगण आगे पीछे ही पहुंचे।
झंडा सही समय पर तहसीलदार साहब द्वारा फहराया गया। उसके बाद सभी प्रतिभागी छात्र छात्राओं
ने अपने अपने भाषण या कविता पाठ इत्यादि सुनाया। उसके बाद ही पुरस्कार वितरण आरम्भ हुआ। कमलेश्वर और अंजुरी तथा कैलाश तीनो को ही नाटक में अच्छे अभिनय के लिए पुरस्कार मिला। भांगड़ा और गरबा के लिए सभी छात्राओं को,तथा विशेष घोषित पुरस्कार भी वितरीत किये गए।
कार्यक्रम समापन के पश्चात् सभी के लिए अल्पाहार का आयोजन असेंबली हॉल में ही किया गया था। तहसीलदार साहब और विश्वनाथ सिंह परस्पर भी बातचीत करते दिखाई दिए। 12 बज चुके थे,आज अंजुरी और कमल भी अपने अपने पिताओं के साथ घर की ओर प्रस्थान कर गए। ---क्रमशः ----
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