अगला दिन सामान्य रूप से आरम्भ हुआ। अंजुरी का मन उचटा ही रहा ,उसे इतने अच्छे भाषण की सबके द्वारा की गई प्रशंसा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मिले इतने पुरस्कार भी उसे आल्हादित नहीं कर पा रहे थे। उसे अपना भविष्य एकदम धुंधलाता सा लग रहा था। वह बाथरूम में नहाते हुए जाने क्यों ज़ार ज़ार रो रही थी ,इस तरह की आवाज़ भी बाहर ना जाए। उसके आंसूं और नहाने का गरम पानी आपस में घुल मिल गए थे। उस जैसी बुद्धिमान ,ऊर्जावान ,हर क्षेत्र में प्रतिभा की धनी लड़की जान नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है और कहाँ से यह सैलाब आ गया है। नहा कर बाहर निकली। जल्दी से तैयार हो गई ,अपनी मम्मी से भी विशेष बात नहीं की ,बस महाविद्यालय जाते हुए यह बोली कि आज वह देर से आएगी ,सहेलियों ने टेकरी वाले मंदिर जाने का प्लान बनाया है। मम्मी ने हामी में सर हिलाया और खाने के बारे में पूछा ,उसने कहा कुछ पैसे दे दो ,सभी केंटीन से खाने वाले हैं। मम्मी ने पैसे लेकर दिए। वह मम्मी की ओर हाथ हिलाते हुए मुड़ी और चल पड़ी ,उसे ग्लानि हो रही थी ,अपनी मम्मी से फिर झूठ बोलने के लिए। उसकी आँखे फिर भर आईं। उसने अपने रुमाल से आखों के किनारे पोंछ दिए, उसे लग रहा था ,वह जो भी कुछ भी कर रही है ,शायद किसी निरर्थक सी चाह के लिए ------
वह यही सब सोचती हुई सी महाविद्यालय पहुँच चुकी थी। आरम्भ के दो पीरियड्स गुज़ारे ,उसने कमल की ओर एक दो बार देखा ,और उसे अपनी ओर देखता पाया। आशा शर्मा मैडम का पीरियड था जब रामदयाल फिर से नोटिस रजिस्टर लेकर आया ,उन्होंने पढ़ कर सुनाया,की दो सप्ताह पश्चात् जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताऐं होने जा रहीं हैं। अभी तक महाविद्यालय की ओर से कमलेश्वर सिंह बैडमिंटन में प्रतिभागी बनते रहे हैं ,यदि और भी कोई जाने को इच्छुक हो तो अपना नाम स्पोर्ट्स वाले नाहर सिंह चौहान सर से अंतिम पीरियड में मिल लें। अंजुरी की आँखें चमक उठीं ,ये कमल के व्यक्तित्व का नया पहलू था जिसकी उसे जानकारी नहीं थी।
दो पीरियड्स और गुज़रे और अंजुरी और कमलेश्वर दोनों ही चौहान सर से मिले। कमलेश्वर का खेल तो उन्होंने देखा ही था अंजुरी ने बताया कि वह स्कूल की ओर से खेला करती थी। चौहान सर ने कहा कि कल सुबह से आधा घंटा पहले आकर प्रैक्टिस करें और फिर मुझे बताएं। और किसी खेल सम्बन्धी सामानों की उपलब्धता भी नहीं थी और किसी छात्र छात्रा को रूचि भी नहीं थी। अंजुरी ने आज कमल से मिलने का प्रोग्राम टाल दिया और घर की ओर चल दी। कमल उसे देखता ही रहा। ---क्रमशः-----
वह यही सब सोचती हुई सी महाविद्यालय पहुँच चुकी थी। आरम्भ के दो पीरियड्स गुज़ारे ,उसने कमल की ओर एक दो बार देखा ,और उसे अपनी ओर देखता पाया। आशा शर्मा मैडम का पीरियड था जब रामदयाल फिर से नोटिस रजिस्टर लेकर आया ,उन्होंने पढ़ कर सुनाया,की दो सप्ताह पश्चात् जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताऐं होने जा रहीं हैं। अभी तक महाविद्यालय की ओर से कमलेश्वर सिंह बैडमिंटन में प्रतिभागी बनते रहे हैं ,यदि और भी कोई जाने को इच्छुक हो तो अपना नाम स्पोर्ट्स वाले नाहर सिंह चौहान सर से अंतिम पीरियड में मिल लें। अंजुरी की आँखें चमक उठीं ,ये कमल के व्यक्तित्व का नया पहलू था जिसकी उसे जानकारी नहीं थी।
दो पीरियड्स और गुज़रे और अंजुरी और कमलेश्वर दोनों ही चौहान सर से मिले। कमलेश्वर का खेल तो उन्होंने देखा ही था अंजुरी ने बताया कि वह स्कूल की ओर से खेला करती थी। चौहान सर ने कहा कि कल सुबह से आधा घंटा पहले आकर प्रैक्टिस करें और फिर मुझे बताएं। और किसी खेल सम्बन्धी सामानों की उपलब्धता भी नहीं थी और किसी छात्र छात्रा को रूचि भी नहीं थी। अंजुरी ने आज कमल से मिलने का प्रोग्राम टाल दिया और घर की ओर चल दी। कमल उसे देखता ही रहा। ---क्रमशः-----
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