अंजुरी घर जल्दी पहुँच गई तो मम्मी को आश्चर्य हुआ ,बोली क्यों मंदिर नहीं गई ? नहीं मम्मी ! प्रोग्राम कैंसिल हो गया। महाविद्यालय की ओर से बैडमिंटन के लिए मैंने अपना नाम लिखवा दिया है। 15 दिन बाद जाना होगा ,जिलास्तरीय प्रतियोगिता है। ये तो बहुत ही अच्छा हुआ ,तुम्हे अपना पुराना शौक भी पूरा करने का मौका मिल जायेगा ,लेकिन प्रैक्टिस ? हाँ ,वही बता रही थी ,स्पोर्ट्स वाले चौहान सर ने सुबह जल्दी आकर प्रैक्टिस करनी होगी। "ठीक है ,लेकिन और भी कोई है खेलने वाला ? हाँ मम्मी एक लड़का है कमलेश्वर सिंह। कौन है यह ?तेरी ही क्लास में है ? हाँ मम्मी ,वो विश्वनाथसिंह का बेटा है ,इंटेलीजेंट है ,प्रिंसिपल सर ने शुरू शुरू में मुझे उसीसे नोट्स लेने को कहा था। उसने महाविद्यालय के कार्यक्रम में सम्राट अशोक का रोल भी किया था। " अच्छा अच्छा ! पापा भी बता रहे थे उसके बारे में।
मम्मी भूख लगी है ! "चलो खाना खा लो ,मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा। अंजुरी किताबें अपने कमरे में रख कर डाइनिंग टेबल पर आ बैठी। मम्मी खाना परोस कर ले आयी। अंजुरी खाने लगी ,मम्मी प्यार से अपनी बेटी को निहार रही थी ,मन ही मन भगवान का धन्यवाद दे रही थी कि उसे एक सुन्दर बुद्धिमान और गुणवान बिटिया की माँ बनाया,उसकी आँखें भर आईं ,वह पलट कर दूसरे कमरे में चली गई।
खाना खाकर अंजुरी कमरे में चली गई और पढ़ने लगी। उसे पता था कि उसे पढाई का समय भी इसी तरह की दिनचर्या में से निकालना होगा। दो महीनो बाद ही परीक्षाएं हैं और वह पढाई में भी पीछे नहीं रहना चाहती थी। वह पता नहीं कब तक पढ़ते पढ़ते सो गई। मम्मी ने आकर देखा ,तो उसे रात के खाने के लिए जगाना ठीक नहीं समझा। उसे चादर ओढ़ाकर ,बत्ती बुझा कर चली गई।
सुबह अंजुरी अलार्म की बजने के साथ ही तेजी से उठ कर तैयार हो गई। पापा भी डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे ,वे अखबार पढ़ रहे थे। अंजुरी ने उनका अभिवादन किया।"अच्छी प्रैक्टिस करना बेटा ! चैम्पियन बनना है !"मम्मी उन्हें बता चुकी थी। अंजुरी ने नाश्ता किया और तेजी से दोनों की ओर हाथ हिलाती हुई बाहर निकल गई। वह सवा नौ बजे महाविद्यालय पहुँच गई। उसने कमल को प्रतीक्षा करते पाया। उसने रैकेट्स और शटलकॉक कल ही ले कर रख दिए थे और रामदयाल की मदद से नेट बाँध दी और कोर्ट भी तैयार कर दिया था।
उसने अंजुरी का अभिवादन किया। वह बोला मुझे तो मालूम ही नहीं था तुम बैडमिंटन भी खेलती हो, मुझे भी तो नहीं पता था ,अंजुरी ने मुस्कुराते हुए कहा। दोनों ने एक एक रैकेट उठाया और खेलना शुरू किया ,दोनों ने महसूस किया कि वे बहुत बेहतर प्लेयर्स हैं ---क्रमशः ---------
मम्मी भूख लगी है ! "चलो खाना खा लो ,मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा। अंजुरी किताबें अपने कमरे में रख कर डाइनिंग टेबल पर आ बैठी। मम्मी खाना परोस कर ले आयी। अंजुरी खाने लगी ,मम्मी प्यार से अपनी बेटी को निहार रही थी ,मन ही मन भगवान का धन्यवाद दे रही थी कि उसे एक सुन्दर बुद्धिमान और गुणवान बिटिया की माँ बनाया,उसकी आँखें भर आईं ,वह पलट कर दूसरे कमरे में चली गई।
खाना खाकर अंजुरी कमरे में चली गई और पढ़ने लगी। उसे पता था कि उसे पढाई का समय भी इसी तरह की दिनचर्या में से निकालना होगा। दो महीनो बाद ही परीक्षाएं हैं और वह पढाई में भी पीछे नहीं रहना चाहती थी। वह पता नहीं कब तक पढ़ते पढ़ते सो गई। मम्मी ने आकर देखा ,तो उसे रात के खाने के लिए जगाना ठीक नहीं समझा। उसे चादर ओढ़ाकर ,बत्ती बुझा कर चली गई।
सुबह अंजुरी अलार्म की बजने के साथ ही तेजी से उठ कर तैयार हो गई। पापा भी डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे ,वे अखबार पढ़ रहे थे। अंजुरी ने उनका अभिवादन किया।"अच्छी प्रैक्टिस करना बेटा ! चैम्पियन बनना है !"मम्मी उन्हें बता चुकी थी। अंजुरी ने नाश्ता किया और तेजी से दोनों की ओर हाथ हिलाती हुई बाहर निकल गई। वह सवा नौ बजे महाविद्यालय पहुँच गई। उसने कमल को प्रतीक्षा करते पाया। उसने रैकेट्स और शटलकॉक कल ही ले कर रख दिए थे और रामदयाल की मदद से नेट बाँध दी और कोर्ट भी तैयार कर दिया था।
उसने अंजुरी का अभिवादन किया। वह बोला मुझे तो मालूम ही नहीं था तुम बैडमिंटन भी खेलती हो, मुझे भी तो नहीं पता था ,अंजुरी ने मुस्कुराते हुए कहा। दोनों ने एक एक रैकेट उठाया और खेलना शुरू किया ,दोनों ने महसूस किया कि वे बहुत बेहतर प्लेयर्स हैं ---क्रमशः ---------
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