कगार-----
बेबसी कगार पर पहुँच जाती है ,
तब बन जाती है ताक़त,
जब हार नजदीक दिखलाई पड़ती है ,
तो तौलने लगता है इंसान अपनी कुव्वत,
जुटाने लगता है अपनी तमाम हिम्मत,
टिमटिमाती सी ख्वाहिश जीत की,
भड़कने लगती है फिर से,
जो कर देती है रोशन उसके पूरे वजूद को,
शिद्दत से महसूस होती है,
जीत जाने की चाहत,
जिसे नहीं पा सका मुद्दतों मुद्दत,
एक सिर्फ एक छोटी सी जीत,
बन जाती है नीवं ,
जिस पर खड़ी हो जाती है,
हर बार जीतने की बुलंद ईमारत!
शब्द अर्थ---कगार--किनारा,कुव्वत--क्षमता
बेबसी कगार पर पहुँच जाती है ,
तब बन जाती है ताक़त,
जब हार नजदीक दिखलाई पड़ती है ,
तो तौलने लगता है इंसान अपनी कुव्वत,
जुटाने लगता है अपनी तमाम हिम्मत,
टिमटिमाती सी ख्वाहिश जीत की,
भड़कने लगती है फिर से,
जो कर देती है रोशन उसके पूरे वजूद को,
शिद्दत से महसूस होती है,
जीत जाने की चाहत,
जिसे नहीं पा सका मुद्दतों मुद्दत,
एक सिर्फ एक छोटी सी जीत,
बन जाती है नीवं ,
जिस पर खड़ी हो जाती है,
हर बार जीतने की बुलंद ईमारत!
शब्द अर्थ---कगार--किनारा,कुव्वत--क्षमता
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