कलाम------
फिर लेने लगी अंगड़ाई,एक छोटी सी ख्वाहिश,
फिर मचलने लगा दिल,कुलबुलाने लगी हसरत,
अल्फाजों की सुगबुगाहट,जब बढाने लगी बेचैनी ,
तब लगा ,एक ही है इलाज ,इस मर्जे मगज का,
सामने हों शफ्फाफ सफे,और कलम रोशनाई से भरी,
उंडेलती रहूँ,उंडेलती रहूँ,हर्फ़ दर हर्फ़,
अलफ़ाज़ दर अलफ़ाज़,
गर बन जाये कुछ कारआमद,
तो मिले चैन,मिले राहत!
शब्द अर्थ---हर्फ़--अक्षर,अल्फ़ाज़ --शब्द,कार आमद --काम का,शफ्फाफ--शुभ्र,रोशनाई--सियाही
फिर लेने लगी अंगड़ाई,एक छोटी सी ख्वाहिश,
फिर मचलने लगा दिल,कुलबुलाने लगी हसरत,
अल्फाजों की सुगबुगाहट,जब बढाने लगी बेचैनी ,
तब लगा ,एक ही है इलाज ,इस मर्जे मगज का,
सामने हों शफ्फाफ सफे,और कलम रोशनाई से भरी,
उंडेलती रहूँ,उंडेलती रहूँ,हर्फ़ दर हर्फ़,
अलफ़ाज़ दर अलफ़ाज़,
गर बन जाये कुछ कारआमद,
तो मिले चैन,मिले राहत!
शब्द अर्थ---हर्फ़--अक्षर,अल्फ़ाज़ --शब्द,कार आमद --काम का,शफ्फाफ--शुभ्र,रोशनाई--सियाही
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें