मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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रविवार, 16 अगस्त 2020

Dharavahik Upanyas---Anhoni--{216 }

अगला दिन परिपूर्ण रूप से व्यस्त आल्हादपूर्ण क्षणों वाला था। प्रातः दस बजे का मुहूर्त था पूजा का। अंजलि शीघ्र उठ गई ,प्रतिदिन ही प्रातः निर्मला आकर उसकी मालिश कर दिया करती थी,उसके पश्चात् वह तैयार हो गई थी। वह प्रायः शालिनी देवी को बता कर ही आरती के पास से हटा करती थी। आज अंजलि ने रानी कलर की सुन्दर सी साड़ी पहनी थी जिसमे चौड़ा सुनहरी बॉर्डर बना था तथा उस बॉर्डर पर सुन्दर पंख फैलाये मोर बने थे। आज भी अंजलि ने ढीला जूड़ा बनाकर चांदी का ब्रोच बीच में लगाया था ,जिसके घुँघरू रह रह कर बज उठते थे। उसने बड़ी सी लाल बिंदी लगाईं थी एवं मांग पूरी लाल सिन्दूर से भरी थी ,गले में मंगलसूत्र के साथ वही पतली सी चैन एवं कानो में मोर की डिज़ाइन वाले उसके प्रिय टॉप्स पहने थे। दो दो सोने की वही चूड़ियां एवं रानी कलर की ही छह छह चूड़ियां पहनी थी ,ये भी मम्मी जी ने साड़ी के साथ ही उसे दीं थीं। उसी समय आरती उठ गई ,अंजलि उसे उठाने जा रही थी ,तब तक शालिनी देवी ने उसे उठा लिया ,उन्होंने कहा कि उसे भी मालिश करके नहला देते हैं ,अंजलि ने सहमति में सर हिलाया। उन्होंने फिर से निर्मला को आवाज लगाईं ,निर्मला ने प्रसन्न होकर आरती की मालिश की ,आश्चर्य की बात यह थी कि आरती मालिश करवाते हुए एकदम रोती नहीं थी। शालिनी देवी बोलीं थीं ," दोनों की मालिश स घर जाकर भी कर देना निर्मला ,जच्चा की कम से कम दो ढाई महीने तो मालिश होनी चाहिए ,एवं बच्चे की एक वर्ष तक ,तभी तो अस्थियां शक्तिशाली बनेंगी। 'मम्मी जी अब आप तैयार हो जाओ मैं देखती हूँ इधर ""अच्छा ठीक है ,ये कपडे पहनाने हैं ,उन्होंने सुन्दर सी छोटी सी गुलाबी फ्रॉक अंजलि को थमा दी। " ठीक पौने दस बजे वे सभी मंदिर पहुँच गए थे। कमलेश्वर ,विश्वनाथसिंह ,मंदिरा बुआ ,सोमनाथ चाचा ,एवं प्रदीप भी पहुँच चुके थे। आज घर पर केवल रामू काका रह गए थे ,पापा जी ने उन्हें कहा था कि पूजा पूर्ण होते ही वे उन्हे बुलवा लेंगे। पूजा संपन्न होते होते सवा ग्यारह बज गए थे। अंजलि एवं आरती ने देवी माँ के चरणों में मस्तक रख कर प्रणाम किया। अब नामकरण की बारी आयी। नानी शालिनी देवी ने पंडित जी को धीरे से बताया {वैसे यह परम्परा नवजात की बुआ द्वारा संपन्न की जाती है }पंडित जी नाम सुन कर प्रसन्न हुए एवं उद्घोष करते हुए बोले "बालिका का नाम आरती रखा गया है "उन्होंने बालिका की जन्मपत्रिका भी कमलेश्वर को दे दी। आश्चर्य जनक बात यह थी कि उसका राशि नामाक्षर भी मुख्य रूप से "अ "ही था। सभी ने आरती नाम की प्रशंसा की एवं तालियां बजाकर प्रसन्नता अभिव्यक्त की। रणवीर सिंह ने पंडित रामदरस शास्त्री को नोटों की गड्डी थमा दी। उन्होंने श्रद्धा पूर्वक उन रुपयों को मस्तक पर लगाया। इसके बाद ही रणवीर सिंह ने सभी को पंगत में बैठने के लिए आमंत्रित किया और भोज आरम्भ हो गया। --क्रमशः ----

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