मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

शुक्रवार, 31 मार्च 2023

Dharm & Darshan !! Agni ke roop !!

अग्नी के ४८ प्रकार  है 

ग्रह शांती ,गृह शांती ,विवाह संस्कार,शत चंडी यज्ञ,अश्वमेध यज्ञ,दाह संस्कार इत्यादी हेतु प्रज्वलित की  जाने वाली अग्नी के लिये अलग,अलग मंत्रो का विधान होता है 

शास्त्र अनुसार जब किसी की मृत्यु हो जाती है तब मृत्यु  होने से एक पहर तीन घंटे  तक अंत्येष्ठि संबधी कोई कार्यवाही नही करना चाहिये, क्योकी इस अंतराल मे शरीर मे हलचल हो सकती है ,तत्पश्चात  तुरंत ही अंतेष्ठि हेतु ले जाना चाहिये इस बिच धार्मिक कार्य कर लेना चाहिये ,

अंतेष्ठी हेतु काल समय की मर्यादा नही हे ,यह सूर्यास्त पश्चात भी कर देना चाहिये क्योकी मृत्यु किसी न किसी रोग से होती है व किटाणू शरीर से बाहर निकलते है जो हानिकारक होते है .मृत शरीर को  अतिआवश्यक  हो तब ही मारचुरी मे रखा जाना चाहिये प्राय:मृत व्यक्ती के चेहरे पर अचानक बहुत तेज आ जाता है जिसका कारण शरीर मे वात का प्रवेश होना होता है जो समय बितने पर बढता जाता है व शरीर भारी होने लगता है इस कारण अंतेष्ठी अविलंब कर देना चाहिये 

आत्माजब शरीर त्याग करती है तो अत्यंत कष्ट होता है व बाहर निकलने पर वह झटपटा ती है कहांजाए समझ नही पाती क्योकी न देख पाती है ननही सुन  पाती है व शरीर के पास ही मंडराती है ,मृत शरीर को बांस की तिर्डी (सीढी)पर रखा जाता है इस का कारण यह है की बांस के भोगंली मे मोजुद रस की सुगंध पहचान कर उसमे प्रविष्ट  हो जाती है  ,जब स्मशान मे यह सीढी तोड दी जाती है तब वह बाहर निकल कर वही भटकती है व बाद मे मृत शरीर के अस्थि मे प्रवेश करती है इस कारण घर के बाहर अस्थिया रखी जाती है व विसर्जित कर दी जाती है 

जहा तक संभव हो दाह संस्कार कंडे काष्ठ इत्यादी के साथ अग्नी से किया जाना चाहिये इस का कारण अग्नी जमीन से आकाश की ओर व विद्युत  आकाश से जमीन की ओर जाती है ,हिन्दू  तरीका शांस्त्र संमत है 

मृत शरीर को ईश्वर को उसी अवस्था मे सौपा जाना चाहिये जैसा जन्म  हुआ था अर्थात यदी कोई आपरेशन हुआ हो व कोई अव्यय  निकाला हो तो उस आकार का पिंड बनाकर उस स्थान पर रखना चाहिये यदि मोतिबिंद का आपरेशन हुआ हो तो आख पर आटे के लेन्स लगाना चाहिये 

व्यक्ती  की मृत्य  के तुरंत बाद ही सूतक लग जाता है ,जो दस दिन रहता है ग्यारवे दिन सपिंडिकरण विधी पश्चात  मुक्तता होती है ,आत्मा का वर्षी भर तिथी पर आना जाना लगा रहता है ,पितर सिर्फ़  पिंडदान व तर्पण से ही तृप्त होते है 

आप कितना भी अन्नदान व अन्य दान पितरो के लिये करे वह उन तक नही पहुचता वह आपके पुण्य खाते मे जमा होता रहता है 

सन्यासी ,वेद पाठी  ब्रम्हचारी ब्राम्हण, तथा आत्महत्या की दशा मे सूतक ननही रहता 

सन्यासी का दाहसंस्कार नही होता उन्हे पववित्र नदी मे जीवो के लिये छोड दिया जाता है 

आत्महत्या करने वाले की अंतिम यात्रा नही जाना चाहिये इस का  बहिष्कार करना चाहिये 

शरीर दान त्वचा दान इत्यादी न करे तो बेहतर होगा क्योकी मृत शरीर का सूतक उसके नष्ट होने तक रहता है और जिसे यह अंग दिया जाता है वह  आजिवन सूतक मे ही रहता है 

उक्त विचार शंकराचार्य  के शीष्य के द्वारा रामकथा मे अनेक उदाहरण देते हुए व्यक्त  कियेे थे वे धर्म प्रचार के साथ जन चेतना का कार्य कर रहे है उन्होने हिन्दू  धर्म सभा की ओर से   राम मंदिर  प्रकरण में वकिलो को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध  कराये 

रामसेतू के बचाव हेतु भी न्यायालय  मे पैरवी कराकर स्टे लिया 

हहाल ही में जब मोहन भागवत जी ने सार्वजनिक  रुप से कहा की जाती  विषयक समाज मे चल रही रीत की समिक्षा होना चाहिये  इस पर सख्त ऐतराज जताते हुए उन्हें  पत्र लिखा कि यह व्यवस्था सनातन काल से है ,ऋषि मुनियो के समय से यह व्यवस्था है ,जिसका जो कार्य है उसे वह करने देना चाहिये

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller ( 172)

  When Suresh finally decided he thought of convey it to Nirmal. He was ready for the office but it’s very early so he decided to go to Nirm...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!