जाति न पूछो साधु की
पूछ लीजिए ज्ञान
मोल करो तलवार का
पड़ा रहन दो म्यान ।
जात पात पूछे नहीं कोय
हरी को भजे सो हरी का होय
समय समय पर भारत में कई महान विभूतियों ने जाति पाँति की कठोर आलोचना की । लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी अपने अपने काल में किया । आधुनिक युग में भी नरेंद्र मोदी जैसे महान व्यक्ति ने जाति पाँति को समाप्त कर देने का पूर्ण प्रयास किया तथा सभी भारतीयों को आशा है कि वे यह प्रयास करते रहेंगे । उनके दृष्टिकोण में भारत में चार ही जातियों के उत्थान की आवश्यकता है , गरीब , किसान , युवा एवं स्त्रियाँ हैं । यह एक अत्यधिक प्रगतिवादी दृष्टिकोण है । भारत में जातियाँ कहाँ से आईं ये विभिन्न भ्रांति युक्त कथनों से धर्म की आड़ लेकर लोगों के जीवन में बोए गए । और उन्हें सिंचित करने का काम दीर्घ कालिक चली देश की सरकारों ने कुशलता पूर्वक किया । छुआ छूत, मंदिर में प्रवेश निषेध , इत्यादि अत्यंत ही निकृष्ट विचार को जीवन में गहराई तक बोया गया । इनमे परस्पर ज़हर की खाद डाल डाल कर इस फसल को बढ़ाया गया ।पिछले दस वर्षों में मोदी जी के प्रगति शील विचारो का कुछ कुछ असर आरम्भ ही हुआ था कि हालिया चुनावों में उत्तर प्रदेश में जाति आधारित राजनीति ने ही नरेंद्र मोदी जी की भारतीय जनता पार्टी को आशा से आधी सीटें मिलीं तो मन मर्माहत हो उठा , जाति रूपी जिस कोढ़ को हटाने के प्रयास समय समय पर हुए वे निरर्थक हो गए । सत्तासीन होने के लिए विपक्ष ने उसी जाति वाद को आधार बनाया और जनता उनके चंगुल में आ गई !
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