क्यों बोलते हैं गणपति बप्पा मोरया.............
पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे धूम-धाम से मनाया जा रहा है। आज से प्रारंभ हुआ गणेशोत्सव पूरे दस दिन चलेगा। चारों ओर "गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया "का जयकारा गुंजायमान है । लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘गणपति बप्पा मोरया’ में ‘मोरया’ का क्या अर्थ है?, अधिकांश लोगों के मन में ये भ्रम है कि ये मौर्यवंश का सूचक है लेकिन नहीं इस शब्द का मौर्य वंश से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि ये नाम है उस व्यक्ति का, जो कि गणपति का बहुत बड़ा भक्त था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक 14वीं शताब्दी के बहुत बड़े संत का नाम मोरया गोसावी था, उनके माता-पिता ने गणपति की काफी अराधना की थी। उनको गणेश जी ने सपने में दर्शन दियाजिसके बाद मोरया गोसावी का जन्म साल, 1375 में हुआ था। कहते हैं कि वो बचपन से ही गणेश जी के परम भक्तों में से एक थे। गणेश जी के प्रति उनकी श्रद्धा इसी बात से पता चल जाती है कि वो गणेश चतुर्थी के अवसर पर हर साल करीबन 100 किलोमीटर पैदल चलकर मोरपुर स्थित मयूरेश्वर मंदिर में गणेश जी के दर्शन के लिए जाते थे।
मोरया गोसावी जब करीबन 118 साल के हुए तो बुढ़ापे और कमजोरी की वजह से गणेश मंदिर जाने की उनकी प्रथा छूट गयी। इस बात से वो काफी उदास रहने लगे, लेकिन एक दिन गणेश जी ने उनसे सपने में आकर कहा की तुम कल सवेरे चिंचवाड़ा स्थित कुंड में मुझसे आकर मिलो। मोरया सुबह होते ही वहां गए और कुंड में स्नान करने के बाद जब बाहर निकले तो उनके हाथ में गणेश जी की एक मूर्ति थी। इस घटना के बाद तो संत मोरया गोसावी के चर्चे दूर-दूर होने लग गए। लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते थे जिसका वो समाधान बताते थे। लोग उनके पैरों को छूकर मोरया बोलते थे , जिसके जवाब में मोरया उन्हें मंगलमूर्ति कहा करते थे और तब से ही ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया’ लोगों का उदघोष बन गया जो कि प्रेम और तपस्या का भी पर्याय बन गया। इस नारे में मोरया का जुड़ना संत मोरया गोसावी से आशीर्वाद लेने का एक तरीका है । इस जयकारे में भक्तगण गणपति के साथ साथ मोरया गोसावी से भी आशीर्वाद मांगते है । माना ये भी जाता है कि गणपति ने संत मोरया को कहा था कि उनका नाम मेरे साथ हमेशा जुड़ा रहेगा और इसी वजह से ‘गणपति बप्पा मोरया’ चलन में आ गया। चिंचवाडा में संत मोरया गोसावी का एक मंदिर भी है जहां गणेश जी के साथ उनकी भी पूजा होती है ।
यह जयकारा भक्तों को शांति , आश्वाशन और आशा की भावना से भर देता है कि उनके लिए सब कुछ शुभ होगा । महाराष्ट्र में तो लगभग सभी धार्मिक कार्य , शुभ समारोह इसी मंत्र से आरंभ होते हैं जिससे यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है ।
गणपति बप्पा मोरया , मंगलमूर्ति मोरया ।।।
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