हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। सालभर में कुल 12 पूर्णिमा तिथि आती है, जिसमें कार्तिक पूर्णिमा का खास स्थान होता है और हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली भी मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। दरअसल इस तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक दैत्य का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान और नदियों के किनारे दीपक जलाने पर कई गुना पुण्य लाभ मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में कार्तिक माह और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। कार्तिक माह में गंगा स्नान और भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन दीप-दान और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति में वृद्धि होती है। कार्तिक पूर्णिमा का सिख धर्म में भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। सिख धर्म में इसे गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गुरुद्वारों में विशेष पूजा-पाठ और लंगर का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा ऐसी भी धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्राा जी का अवतरण पुष्कर के पवित्र नदी में हुआ था। इस कारण हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों लोग पुष्कर नदी में स्नान, पूजा-पाठ और दीपदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा पूजाविधि
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान, दीपदान और यज्ञ करने का विशेष महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर सबसे पहले प्रात:काल जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें। अगर यह संभव हो तो इस दिन घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद मंदिर और सरोवर में दीपक जलाएं। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा और स्मरण करें। भगवान के मंत्रों का जाप विशेषकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु की सभी तरह की सामग्री से उनकी पूजा और भोग लगाएं। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव की भी पूजा करें। इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें। कार्तिक पूर्णिमा की सांयकाल को घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए और गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिए। रात के समय चंद्रमा की पूजा करें। इस दिन गाय को भोजन भी अवश्य कराएं। कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्याओं के अनुसार इस दिन सभी देवी-देवता स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और नदियों के किनारे देव दिवाली मनाते हैं। इस कारण से इस देव दिवाली भी कहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें