यक्ष ने युधिष्ठिर से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जिनके उत्तर युधिष्ठिर ने बड़े ही सोच-विचार के साथ दिए। इन प्रश्नों और उनके उत्तरों को निम्नलिखित बिंदुओं में देखा जा सकता है:
आत्म और जीवन*
मैं कौन हूं?* युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि तुम न शरीर हो, न इन्द्रियां, न मन, न बुद्धि। तुम शुद्ध चेतना हो, वह चेतना जो सर्वसाक्षी है।
- *जीवन का उद्देश्य क्या है?* जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है, जिसे जानना ही मोक्ष है।
- *जन्म का कारण क्या है?* अतृप्त वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल ही जन्म का कारण हैं।
*संसार और दुःख*
संसार में दुःख क्यों है?* संसार के दुःख का कारण लालच, स्वार्थ और भय हैं।
- *दुःखों से मुक्ति कैसे संभव है?* जो कभी क्रोध नहीं करता, वह दुःखों से मुक्त है।
- *संसार को कौन जीतता है?* जिसमें सत्य और श्रद्धा है, वह संसार को जीतता है।
आध्यात्म और ईश्वर*
परम सत्य क्या है?* ब्रह्म।
- *ईश्वर की रचना क्या है?* वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है।
- *ईश्वर का स्वरूप क्या है?* वह सत्-चित्-आनन्द है, वह निराकार ही सभी रूपों में अपने आप को स्वयं को व्यक्त करता है।
*नैतिकता और मूल्य*
- *ब्राह्मणत्व क्या है?* ब्राह्मणत्व शील और स्वभाव पर ही निर्भर है।
- *सच्चा प्रेम क्या है?* स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है।
- *धैर्य क्या है?* अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना ही धैर्य है।
अन्य प्रश्न*
*मृत्यु पर्यंत यातना कौन देता है?* गुप्त रूप से किया गया अपराध।
- *दिन-रात किस बात का विचार करना चाहिए?* सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता का।
- *संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है?* हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों की मृत्यु हो जाती है, यह देखते हुए भी इंसान अमरता के सपने देखता है ¹।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें