अनुपमा — ( 2 )
स्नेह की अपनत्व की एक
अनूठी सी हो परिकल्पना !
उम्र में छोटी किंतु अनुभवी
परिपक्व सी पवित्र सी भावना !!
सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं सबको ,
जब होती है उनमे असमंजस से भारी याचना !!
छोटे हों , बड़े हों , छात्र हों या हों शिक्षक ,
विषय चाहे जैसे भी हों तुम्हारे सामने ,
ढूँढ ही लेती हो तुम समाधान की सही संकल्पना !!
स्वस्थ रहो , रहो सुरक्षित ,
प्रसन्नता भरी प्रेरणा
हम सब के जीवन का आधार स्तम्भ हो ,
बनी रहो दीर्घ आयु की सदैव
संवर्धना !!
ईश्वर से यही अनुशंसा है हम सभी की
यही हृदय के अतल तल की
प्रार्थना !
निरुपमा सिन्हा — 27-3-2025
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