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शुक्रवार, 20 मई 2016

Suraj Chachu ---7

सूरज चाचू -----7

ऐसा ताप! ऐसा ताप!! ऐसा ताप !!!
बाप रे बाप !! बाप रे बाप !!!
सर्दी में लगते अमिताभ से
अब अमजद खान क्यों बन जाते हो ?

लगते सुपर स्टार से ठण्ड में ,
गर्मी में खलनायक क्यों दिखते हो ?
पहले सिमटाते थे 45 पर पारा
अब 55 तक पहुंचाते हो !

रेत पे पापड लोग सेंक रहे
क्या रोटी भी पकवा दोगे
जाने आने वाले बरसों में
हमसबको भुनवा दोंगे ?

फूल पत्ते ,शाख पेड़ सब
झुलस रहे हैं ,तेरी माया
पशु पक्षी सब ढूंढ रहे हैं
राहत की निर्मल छाया

नकाब के पीछे कौन है कन्या
दस्ताने पहन के घूम रही यह
कड़ी धूप से बचा रही अपनी काया
जाने किसकी भगिनी ,किसकी तनया

श्रीमन्तों को ए सी कूलर
गर्मी से बचने के साधन
कड़ी धूप में कडा परिश्रम
करें श्रमिक ,करें कृषक जन

पसीनो के देखो बहते रेले
मानो भर देंगे नाले परनाले
हम सभी प्रतीक्षारत हैं
कब घिरेंगे बादल काले

तुम बने हुए चाचू सौतेले
क्रोध में बरसाते आग के गोले
क्यों जीवन छीन रहे हो चाचू
तुम तो जीवन देने वाले

पेड़  काट काट कर हमने ही
सीमेंट के जंगल  किये  खड़े
बेहिसाब आबादी कर ली
हम मानव हैं ज़रा "हटेले"

पर्यावरण की कभी न सोची
काट रहे हम अपनी फसलें
तुम दोषी नहीं हो चाचू
जो उगल रहे हो ये" शोले "

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