सच्चाई----
किसी को किसी की क्या फ़िक्र है पड़ी ,
किसी के बिना किसी की क्या अड़ी - पडी
बचपन बीतने तक ही होती हैं भावनाएं जुडी
आगे सबके अपने संघर्ष ,सामने समस्याएं खड़ी
सुलझानी ही होतीं हैं ,चाहे छोटी हो या बड़ी
स्नेह बना रहे तो क्या ही अच्छा हो
क्या भरोसा कब एक दूसरे की ज़रुरत आ पड़ी
किस मुंह से मदद मांगे कोई किसी से ,किसी की ,
जब आई हो मुसीबत की घडी ,
ऊपरवाले का हिसाब होता है बड़ा पुख्ता ,
हर सांस गिनी हुई है मिलती,
तय शुदा होती है मौत की घडी,
घमंड किस बात का करे,
क्यों करें बातें बड़ी बड़ी,
प्रभु का भोजन ,होता है घमंड ,
जिसकी भेंट चढ़ गए ,
कौरव-कंस ,कुम्भकर्ण-रावण ,
मैं क्या,मेरी ज़िन्दगी क्या ,
एक अदना सा तिनका ,
या मानो सुखी गर्म रेत पर ,
कोई पानी की बूँद हो पडी !!
किसी को किसी की क्या फ़िक्र है पड़ी ,
किसी के बिना किसी की क्या अड़ी - पडी
बचपन बीतने तक ही होती हैं भावनाएं जुडी
आगे सबके अपने संघर्ष ,सामने समस्याएं खड़ी
सुलझानी ही होतीं हैं ,चाहे छोटी हो या बड़ी
स्नेह बना रहे तो क्या ही अच्छा हो
क्या भरोसा कब एक दूसरे की ज़रुरत आ पड़ी
किस मुंह से मदद मांगे कोई किसी से ,किसी की ,
जब आई हो मुसीबत की घडी ,
ऊपरवाले का हिसाब होता है बड़ा पुख्ता ,
हर सांस गिनी हुई है मिलती,
तय शुदा होती है मौत की घडी,
घमंड किस बात का करे,
क्यों करें बातें बड़ी बड़ी,
प्रभु का भोजन ,होता है घमंड ,
जिसकी भेंट चढ़ गए ,
कौरव-कंस ,कुम्भकर्ण-रावण ,
मैं क्या,मेरी ज़िन्दगी क्या ,
एक अदना सा तिनका ,
या मानो सुखी गर्म रेत पर ,
कोई पानी की बूँद हो पडी !!
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