शब्दों का बाज़ार ---
बिकते नहीं हैं सारे शब्द ,
सबका नहीं मिलता खरीदार
बिन पहचाने व्यर्थ निरर्थक
बन रह जाते हैं कुछ विचार
कई शब्दों का होता क्रय विक्रय
उनका मिलता मोल अपार
कभी "बुकर्स अवार्ड " सा सम्मान
मिलियन बिलियन का होता व्यापार
मुफ़लिस बनकर जिए कई कवि,
गद्य लेखक और कहानी कार
मरणोपरांत ही जाना जग ने
कि अनमोल थे वो साहित्यकार
तब जान धरोहर देश की उनको
विभूषित किया नानालंकार
वे मार्गदर्शक ,वे प्रकाश स्तम्भ
उनको प्रणाम कोटिशः बार !
बिकते नहीं हैं सारे शब्द ,
सबका नहीं मिलता खरीदार
बिन पहचाने व्यर्थ निरर्थक
बन रह जाते हैं कुछ विचार
कई शब्दों का होता क्रय विक्रय
उनका मिलता मोल अपार
कभी "बुकर्स अवार्ड " सा सम्मान
मिलियन बिलियन का होता व्यापार
मुफ़लिस बनकर जिए कई कवि,
गद्य लेखक और कहानी कार
मरणोपरांत ही जाना जग ने
कि अनमोल थे वो साहित्यकार
तब जान धरोहर देश की उनको
विभूषित किया नानालंकार
वे मार्गदर्शक ,वे प्रकाश स्तम्भ
उनको प्रणाम कोटिशः बार !
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