बरसों सताया गया आम आदमी ,
तरह तरह के ख्वाब दिखा कर ठगा गया आम आदमी
हर चुनाव के बाद ,वोट देने के बाद होश में आया आम आदमी
कोई बदलाव हो न सका सत्ता बदलती रही बरसों
महंगाई की मार ,बिजली के झटके
,और नल से आती गंदे बदबूदार पानी की धार
उस पर बेबस और लाचार ही रहा आम आदमी
नेताओं के कुटिल दांव पेंच ,कभी समझ ही न सका आम आदमी
कब चलेगा कौनसा तुरुप का पत्ता ,
न समझा नेता की शह और मात आम आदमी
लेकिन जो स्वाद उसने चखा था ४९ दिनों में
उसकी मिठास भुला न सका आम आदमी
कौन है यह आम आदमी ? मैं हूँ ,तुम हो ,हम सभी ,
जो नेता नहीं हैं ,न नेता से फायदा उठाने वालों की जमात में हैं
वही सब तो हैं आम आदमी
अब और नहीं दोस्तों ,आओ मिल कर कसम खाएं
इसबार ज़रूर जीतेगा ये आम आदमी
बनाएगा अपनी सरकार दिल्ली में ये आम आदमी !
तरह तरह के ख्वाब दिखा कर ठगा गया आम आदमी
हर चुनाव के बाद ,वोट देने के बाद होश में आया आम आदमी
कोई बदलाव हो न सका सत्ता बदलती रही बरसों
महंगाई की मार ,बिजली के झटके
,और नल से आती गंदे बदबूदार पानी की धार
उस पर बेबस और लाचार ही रहा आम आदमी
नेताओं के कुटिल दांव पेंच ,कभी समझ ही न सका आम आदमी
कब चलेगा कौनसा तुरुप का पत्ता ,
न समझा नेता की शह और मात आम आदमी
लेकिन जो स्वाद उसने चखा था ४९ दिनों में
उसकी मिठास भुला न सका आम आदमी
कौन है यह आम आदमी ? मैं हूँ ,तुम हो ,हम सभी ,
जो नेता नहीं हैं ,न नेता से फायदा उठाने वालों की जमात में हैं
वही सब तो हैं आम आदमी
अब और नहीं दोस्तों ,आओ मिल कर कसम खाएं
इसबार ज़रूर जीतेगा ये आम आदमी
बनाएगा अपनी सरकार दिल्ली में ये आम आदमी !
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