मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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रविवार, 11 सितंबर 2016

Bachpan Ki Yaad !!

बचपन की नादान उम्र में ,
फिल्मों में देखा करती थी
गरीब मज़लूम ,फटे हाल
जो हुआ करता था हीरो या उसका बाप
सम्बोधित किया करता था
सफ़ेद लकदक कपडे पहने
नुकीले सफ़ेद जूते पहने
क्रूर से दिखने वाले एक शख्स को
हुज़ूर ! माई बाप ! सरकार !
जो ज़ुल्म पर ज़ुल्म ढाया करता था
मुस्कुराता था,कुटिल मुस्कान
घोड़े पर हो जाया करता था हवा हवाई
उस नादान उम्र से ,इस पकी उम्र तक
मैंने स्क्रीन के बाहर भी देखी
कभी ये सरकार कभी वो सरकार
सब की सब वैसी ही लगी
दम्भी ,क्रूर,गरीबों को लूटने वाली सरकार,
बड़े बड़े होर्डिंग देखे,लिखा था “बहुत हुआ भ्रष्टाचार ”
सभी ने कहा अब न सहेंगे अत्याचार
सारे देश में लोग कर रहे थे ,जय जय कार
मानो प्रभु ने लिया हो धरती पर अवतार
शीघ्र ही छिन्न भिन्न हुए स्वप्न,आशाएं हो गईं तार तार
याद आ गया मुझे फिर से फिल्मो कावो ज़मींदार
वो घोड़े दौड़ाता था ,यह रहता हवा पर सदा सवार
गरीबों की तिनका भर भी नहीं,सरमाया दारों की सरकार !

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