आज़ार=बीमारी
बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं,
फूलों से झरा करते ते जो
अब वो खार नज़र आते हैं
बातें जो लगती थीं नई
अब वो बासी अखबार नज़र आते हैं
कितने अपने अपने से लगते थे कभी
अब पहुँच के भी पार नज़र आते हैं
खुशनुमा वो वादे,सुहाने कल की उम्मीद
बस जीत के हथकंडे दो चार नज़र आते हैं
लगता था इलाज बन के आये हैं
ये तो पुराने ही आज़ार नज़र आते हैं !!
बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं,
फूलों से झरा करते ते जो
अब वो खार नज़र आते हैं
बातें जो लगती थीं नई
अब वो बासी अखबार नज़र आते हैं
कितने अपने अपने से लगते थे कभी
अब पहुँच के भी पार नज़र आते हैं
खुशनुमा वो वादे,सुहाने कल की उम्मीद
बस जीत के हथकंडे दो चार नज़र आते हैं
लगता था इलाज बन के आये हैं
ये तो पुराने ही आज़ार नज़र आते हैं !!
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