बस ऐसे ही हैं हम ,भारत वासी
उठा लेते हैं सर माथे पर
बिठा लेते हैं पलकों पर
पूरा भरोसा कर लेते हैं सौंप देते हैं अपनी बागडोर
कुछ वक़्त भी देते हैं उसे
कुछ करने धरने का
लेकिन जब भांप लेते हैं
नीयत और सीरत ,फिर तो कोई रोक सकता नहीं
जंगल की आग सी फैलती है जनमत की लहर
नेता हो ,अभिनेता हो ,या हो कोई पार्टी
उठा कर देते हैं ऐसी पटखनी
लगता है मतदान के दिन
हर वोटर चिल्ला कर कहता हो
“आता माझी सटकली “!!!!!!!!!
उठा लेते हैं सर माथे पर
बिठा लेते हैं पलकों पर
पूरा भरोसा कर लेते हैं सौंप देते हैं अपनी बागडोर
कुछ वक़्त भी देते हैं उसे
कुछ करने धरने का
लेकिन जब भांप लेते हैं
नीयत और सीरत ,फिर तो कोई रोक सकता नहीं
जंगल की आग सी फैलती है जनमत की लहर
नेता हो ,अभिनेता हो ,या हो कोई पार्टी
उठा कर देते हैं ऐसी पटखनी
लगता है मतदान के दिन
हर वोटर चिल्ला कर कहता हो
“आता माझी सटकली “!!!!!!!!!
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