भ्रषाचार
!!
आजादी
के समय नन्हा था,छोटा सा
नादान,
पल
पल छिन छिन खा खा कर
के
हट्टा
कट्टा मुश्टण्डा
70 बरस
में हुआ जवान
हजारों
हजार मुंह खोले
देखो
ठठा रहा है
ड्रेगन
बना हुआ शैतान
ऊपर
से नीचे तक इसके
चंगुल
में है हिंदुस्तान
हर
कार्यालय ,की हर सीढी,हर आयाम
चपरासी
से ऊपर तक इसको
पाले
पोसें करे प्रणाम
शिकार
इसके बनते हम सारे
कभी
न कभी करते भुगतान
कभी
कभी जब छापे पड़ते
पाए
जाते नोटों के अम्बार
सोना
चांदी खाते फार्म ज़मीने सब बेनाम
भौंचक
से
हम रहें देखते,सोचा
करते
सारा पैसा
इन पेटों में
नंगे सारे
हैं इस हम्माम
भूख गरीबी
से कैसे बच पाए
जो बेचारे
हैं बिलकुल आम !
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