Delhi & Rain !
घिर जाते हैं बादल काले
खेल रहे हैं पकड़म पाटी
जब देखें नीचे तो बोलें
भागो ! ये दिल्ली की माटी
इसपर बरस गए तो मित्रों
हो जाएगी अपनी “हेठी”
बरस गए तब तक दस छींटे
ज्यों पंडित जी ने चरणामृत बांटी
हीरोइन की बेहोशी पर
हीरो मार रहा हो”छींटी ”
जब जब सोचूं दिल्ली वालों की
याद आ जाये तंदूरी मुर्गी
या बना रहा कोई “कुक”
भाप निकलते “मोमोज”टेस्टी
याद आती हलवाई की “भट्ठी ”
बादल भाग रहे है मानो
भागे भूत थाम “लंगोटी”!!
खेल रहे हैं पकड़म पाटी
जब देखें नीचे तो बोलें
भागो ! ये दिल्ली की माटी
इसपर बरस गए तो मित्रों
हो जाएगी अपनी “हेठी”
बरस गए तब तक दस छींटे
ज्यों पंडित जी ने चरणामृत बांटी
हीरोइन की बेहोशी पर
हीरो मार रहा हो”छींटी ”
जब जब सोचूं दिल्ली वालों की
याद आ जाये तंदूरी मुर्गी
या बना रहा कोई “कुक”
भाप निकलते “मोमोज”टेस्टी
याद आती हलवाई की “भट्ठी ”
बादल भाग रहे है मानो
भागे भूत थाम “लंगोटी”!!
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