थारा घर तो चटख चांदणी
लोग बापड़ा अँधा कांणा
हिरता फिरता टैम काट रयो
पैरी ने मेहंगा मेहंगा बांणा
कांई करे अब लोग लुगाई
थूं बंण ग्यों महाराजा राणा
“थम” समझो हो म्हाने “घूघू”
जांणो हो भरपूर “रिझाणा ”
करी करी ने “मेलोड्रामा”
हम सबने बना दियो थम “मामा”
लोग बापड़ा अँधा कांणा
हिरता फिरता टैम काट रयो
पैरी ने मेहंगा मेहंगा बांणा
कांई करे अब लोग लुगाई
थूं बंण ग्यों महाराजा राणा
“थम” समझो हो म्हाने “घूघू”
जांणो हो भरपूर “रिझाणा ”
करी करी ने “मेलोड्रामा”
हम सबने बना दियो थम “मामा”
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