झुझू लौट आया—–
मृत्यु एक ऐसा विषय है जो मानव के उत्पत्ति काल से लेकर आज तक मानव मात्र के लिए कौतुहल का विषय बना रहा इस कौतुहल में हर व्यक्ति का अपने किसी ना किसी स्वजन प्रियजन को खो देने का गहन दुःख समाया है. दुःख देखा या दिखाया नहीं जा सकता,यह सिर्फ अनुभव होता है और प्रत्येक व्यक्ति को होता है,चूँकि यह दिखाया ही नहीं जा सकता यह भी कहा नहीं जा सकता कि किसका ज्यादा या किसका कम या समान है। वैसे सृष्टि ने ,ईश्वर ने जो भी नियम बनाये हैं उसका कोई तोड़ नहीं है जन्म और मृत्यु ,शारीरिक कष्ट ,मानसिक संताप,गहन दुःख ,मन की प्रसन्नता,चिंता सभी कुछ अद्भुत है इसके रहस्य अनावृत्त नहीं किये जा सकते हैं क्यों कि ये अनुभूत हैं इनकी अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती। विज्ञान ने काफी घुसपैठ करने की कोशिश कर ली है जन्म के मामले में ,जिनमे भ्रूण का लिंग जानना अथवा सेरोगेसी जैसी चीजें हैं ,इन सब को सकारात्मक ही हैं यह नहीं कहा जा सकता है.
मनोविज्ञान को विज्ञानं इसीलिए कहा जाता है कि एक ही प्रकार की स्थितियों में परिणाम एक से प्राप्त होते हैं.
मृत्यु एक ऐसा विषय है जो मानव के उत्पत्ति काल से लेकर आज तक मानव मात्र के लिए कौतुहल का विषय बना रहा इस कौतुहल में हर व्यक्ति का अपने किसी ना किसी स्वजन प्रियजन को खो देने का गहन दुःख समाया है. दुःख देखा या दिखाया नहीं जा सकता,यह सिर्फ अनुभव होता है और प्रत्येक व्यक्ति को होता है,चूँकि यह दिखाया ही नहीं जा सकता यह भी कहा नहीं जा सकता कि किसका ज्यादा या किसका कम या समान है। वैसे सृष्टि ने ,ईश्वर ने जो भी नियम बनाये हैं उसका कोई तोड़ नहीं है जन्म और मृत्यु ,शारीरिक कष्ट ,मानसिक संताप,गहन दुःख ,मन की प्रसन्नता,चिंता सभी कुछ अद्भुत है इसके रहस्य अनावृत्त नहीं किये जा सकते हैं क्यों कि ये अनुभूत हैं इनकी अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती। विज्ञान ने काफी घुसपैठ करने की कोशिश कर ली है जन्म के मामले में ,जिनमे भ्रूण का लिंग जानना अथवा सेरोगेसी जैसी चीजें हैं ,इन सब को सकारात्मक ही हैं यह नहीं कहा जा सकता है.
मनोविज्ञान को विज्ञानं इसीलिए कहा जाता है कि एक ही प्रकार की स्थितियों में परिणाम एक से प्राप्त होते हैं.
मैंने मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर तक शिक्षण ग्रहण किया है अतः थोड़ी बहुत बातों की व्याख्या करने की योग्यता रखती हूँ। परा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में कुछ वर्षों पूर्व सम्मिलित किया गया,जो कि मृत्यु उपरान्त के विषय अथवा पुनर्जन्म के विश्व व्यापी ठोस उदाहरणों के अध्ययनों व् उनके परिणामो पर आधारित है।
झुझू एक प्यारा सा डॉग है जो स्ट्रीट डॉग के रूप में ही धरती पर आया किन्तु किस्मत बहुत अच्छी ले आया,उसे मेरे एनिमल लवर
भतीजे शौर्य ने पसंद किया और घर ले आया,उसे आम डॉग्स से कुछ ज्यादा ही प्यार मिलने लगा,अच्छा भोजन,गर्मी में ए सी रूम और जब मर्ज़ी हो तब बाहर जाकर अपने मित्रों सहेलियों से मिलने की भरपूर स्वतंत्रता लेकिन साथ ही एक पेट डॉग की तरह सभी इंजेक्शन्स ,दवाई,और और समस्त प्रकार की पूर्व सतर्कता की सुविधा मिली।
पेट डॉग या कोई और पेट रखना बहुत ही व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर करता है ,किसी के कहने से ही कोई पशु पक्षियों के प्रति प्रेम उत्पन्न नहीं कर सकता ,या प्रेम समाप्त नहीं कर सकता। इस प्रेम की सीमायें भी प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर करती है।
घर में शौर्य ,उसके मम्मी डैडी के अलावा अत्यंत वृद्धा शौर्य की दादी भी रह रही थीं ,जो बीमार भी थीं,२ अक्टूबर को दोपहर ३ बजे उनका देहांत हो गया। घर में सभी शोकाकुल थे,झुझू को दूसरे बैडरूम में बंद कर दिया गया था,अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएँ करते शाम ढल गई थी,दैनिक रूटीन की तरह उसे रात को घर से बाहर जाने दिया गया,पर वह नहीं लौटा,वो अगली गली में ही दिखता रहा,उसे ,जिसे दोनों वक़्त स्वच्छ बर्तनो में खाना और पानी मिल रहा था,वो ना जाने रोटी का कोई टुकड़ा भी ढूंढ पा रहा था या नहीं, पानी की बूँद भी मिला पा रहा था या नहीं। वह पूरे १३ दिनों तक नहीं आया ,जिस शौर्य के स्कूल से लौटते ही प्रेम प्रदर्शन करता उसके बुलाने पर भी नहीं आया।
और पूरे १३ दिनों के बाद दादी माँ के विधि विधान पूर्वक १४ तारिख को श्राद्ध संपन्न होने के दूसरे दिन वह लौट आया,उसका व्यवहार सामान्य था।
क्या कहेंगे आप इसे ? हिन्दू धर्म में यह कहा जाता है कि १३ दिनों तक आत्मा उसी स्थान पर वास करती है ,तथा धर्म द्वारा बनाये सभी संस्कारों का अत्याधिक महत्व है ,श्राद्ध संस्कार का भी ,जिसके सम्पूर्ण होने पर ही आत्मा वहां से प्रस्थान करती है।
यह कि मनुष्य में शायद कुछ को आत्माएं दिखतीं हों परन्तु सभी पशु पक्षियों को आत्माएं दिखतीं हैं तथा वे उनके प्रति अपना सम्मान भी अभिव्यक्त करते हैं ,शायद झुझू ने भी अपनी श्रद्धांजली अभिव्यक्त की हो ,वैसे हर बार की तरह यह प्रश्न भी अंदाज़ ,अटकल ,या शायद ये ,शायद वो पर ही समाप्त हो रहा है.
झुझू एक प्यारा सा डॉग है जो स्ट्रीट डॉग के रूप में ही धरती पर आया किन्तु किस्मत बहुत अच्छी ले आया,उसे मेरे एनिमल लवर
भतीजे शौर्य ने पसंद किया और घर ले आया,उसे आम डॉग्स से कुछ ज्यादा ही प्यार मिलने लगा,अच्छा भोजन,गर्मी में ए सी रूम और जब मर्ज़ी हो तब बाहर जाकर अपने मित्रों सहेलियों से मिलने की भरपूर स्वतंत्रता लेकिन साथ ही एक पेट डॉग की तरह सभी इंजेक्शन्स ,दवाई,और और समस्त प्रकार की पूर्व सतर्कता की सुविधा मिली।
पेट डॉग या कोई और पेट रखना बहुत ही व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर करता है ,किसी के कहने से ही कोई पशु पक्षियों के प्रति प्रेम उत्पन्न नहीं कर सकता ,या प्रेम समाप्त नहीं कर सकता। इस प्रेम की सीमायें भी प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत रूचि पर निर्भर करती है।
घर में शौर्य ,उसके मम्मी डैडी के अलावा अत्यंत वृद्धा शौर्य की दादी भी रह रही थीं ,जो बीमार भी थीं,२ अक्टूबर को दोपहर ३ बजे उनका देहांत हो गया। घर में सभी शोकाकुल थे,झुझू को दूसरे बैडरूम में बंद कर दिया गया था,अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएँ करते शाम ढल गई थी,दैनिक रूटीन की तरह उसे रात को घर से बाहर जाने दिया गया,पर वह नहीं लौटा,वो अगली गली में ही दिखता रहा,उसे ,जिसे दोनों वक़्त स्वच्छ बर्तनो में खाना और पानी मिल रहा था,वो ना जाने रोटी का कोई टुकड़ा भी ढूंढ पा रहा था या नहीं, पानी की बूँद भी मिला पा रहा था या नहीं। वह पूरे १३ दिनों तक नहीं आया ,जिस शौर्य के स्कूल से लौटते ही प्रेम प्रदर्शन करता उसके बुलाने पर भी नहीं आया।
और पूरे १३ दिनों के बाद दादी माँ के विधि विधान पूर्वक १४ तारिख को श्राद्ध संपन्न होने के दूसरे दिन वह लौट आया,उसका व्यवहार सामान्य था।
क्या कहेंगे आप इसे ? हिन्दू धर्म में यह कहा जाता है कि १३ दिनों तक आत्मा उसी स्थान पर वास करती है ,तथा धर्म द्वारा बनाये सभी संस्कारों का अत्याधिक महत्व है ,श्राद्ध संस्कार का भी ,जिसके सम्पूर्ण होने पर ही आत्मा वहां से प्रस्थान करती है।
यह कि मनुष्य में शायद कुछ को आत्माएं दिखतीं हों परन्तु सभी पशु पक्षियों को आत्माएं दिखतीं हैं तथा वे उनके प्रति अपना सम्मान भी अभिव्यक्त करते हैं ,शायद झुझू ने भी अपनी श्रद्धांजली अभिव्यक्त की हो ,वैसे हर बार की तरह यह प्रश्न भी अंदाज़ ,अटकल ,या शायद ये ,शायद वो पर ही समाप्त हो रहा है.
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