हमारा देश !
हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा मैली है
गंगा की छोडो इस देश में तो
सारी नदियां ही मैली हैं
लगभग हर शख्स बना रहा
इक दूजे को उल्लू है
ओहदे दार ,समाज सरकार
सब कर्तव्य से निट्ठल्ले हैं
भूखे हैं दौलत के सारे
चाहे कैसे भी आती हो
जैसा स्तर वैसे तरीके
अलग अलग सारे अपनाते
भूखे भेड़िये घूम रहे हैं
करते फिरते बलात्कार
अंधे कानून की छाया में ही
अपराध की होती जय जय कार
देश बना है हॉट केक
कोई कुतरे कोई बटके,
जिसको कुर्सी मिल जाए
वो गडपे सीधे डाले अपने पेट
जिसने देखे विकसित देश
वहां के लोग और परिवेश
वो समझे असलियत इसकी
लगता उसको जंगल ठेठ
जिसमे धनपति और दबंग
राजनीति के घाघ के संग
बोटी चबा रहे जनता की
चूस रहे खून संग संग
जब जब सोचूं देश का हाल
मन में उठे सवाल दर सवाल
मार्ग कोई सूझता नहीं
स्थिति बड़ी विकट विकराल !
जिस देश में गंगा मैली है
गंगा की छोडो इस देश में तो
सारी नदियां ही मैली हैं
लगभग हर शख्स बना रहा
इक दूजे को उल्लू है
ओहदे दार ,समाज सरकार
सब कर्तव्य से निट्ठल्ले हैं
भूखे हैं दौलत के सारे
चाहे कैसे भी आती हो
जैसा स्तर वैसे तरीके
अलग अलग सारे अपनाते
भूखे भेड़िये घूम रहे हैं
करते फिरते बलात्कार
अंधे कानून की छाया में ही
अपराध की होती जय जय कार
देश बना है हॉट केक
कोई कुतरे कोई बटके,
जिसको कुर्सी मिल जाए
वो गडपे सीधे डाले अपने पेट
जिसने देखे विकसित देश
वहां के लोग और परिवेश
वो समझे असलियत इसकी
लगता उसको जंगल ठेठ
जिसमे धनपति और दबंग
राजनीति के घाघ के संग
बोटी चबा रहे जनता की
चूस रहे खून संग संग
जब जब सोचूं देश का हाल
मन में उठे सवाल दर सवाल
मार्ग कोई सूझता नहीं
स्थिति बड़ी विकट विकराल !
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