ओ राम जी ओ श्याम जी
क्यों रहते नाराज हो
क्यों नहीं बरसते घनश्याम जी
कहीं कहीं तो जल थल एक
कहीं बूँद को तरस रहे हैं
सारे ख़ास और आम जी
सूरज चाचू के प्रकोप से
दिल दो थोड़ा आराम जी
तकते रहते हर दिन सारे
ऊपर आसमान जी
दिल्ली तक आते आते
क्यों सारे मेघ तमाम जी
झलक दिखा कर भागें बादल
जैसे भूतों की बस्ती में
पहुँच गए नादान जी
उन्हें बरसने की चाह नहीं है
ना ही कोई रुझान जी
क्या इतनी पापी है दिल्ली
पापों का है स्थान जी
हम जैसे अच्छे भी बसते
मुफ्त में हैं बदनाम जी
करते दूजों के पापों का ही
हरदम हम भुगतान जी
क्यों नहीं दिखाई पड़ती झड़ियाँ
मेघ भरा आसमान जी
सावन कभी न लगे सावन सा
गर्मी निकले प्राण जी
त्राहिमाम ! त्राहिमाम !! त्राहिमाम जी !
क्यों रहते नाराज हो
क्यों नहीं बरसते घनश्याम जी
कहीं कहीं तो जल थल एक
कहीं बूँद को तरस रहे हैं
सारे ख़ास और आम जी
सूरज चाचू के प्रकोप से
दिल दो थोड़ा आराम जी
तकते रहते हर दिन सारे
ऊपर आसमान जी
दिल्ली तक आते आते
क्यों सारे मेघ तमाम जी
झलक दिखा कर भागें बादल
जैसे भूतों की बस्ती में
पहुँच गए नादान जी
उन्हें बरसने की चाह नहीं है
ना ही कोई रुझान जी
क्या इतनी पापी है दिल्ली
पापों का है स्थान जी
हम जैसे अच्छे भी बसते
मुफ्त में हैं बदनाम जी
करते दूजों के पापों का ही
हरदम हम भुगतान जी
क्यों नहीं दिखाई पड़ती झड़ियाँ
मेघ भरा आसमान जी
सावन कभी न लगे सावन सा
गर्मी निकले प्राण जी
त्राहिमाम ! त्राहिमाम !! त्राहिमाम जी !
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