रावण दहन —–
-युगों युगों से, कई वर्षों से
रावण का होता रहता दहन,
गली मोहल्ले चौराहे,
ग्राम ग्राम और नगर नगर
क्योंकि उसने किया कभी था
सीता माँ का अपहरण
पालन था वह,कई नियम ,स्व-अनुशासन
एक वर्ष तक सीता माँ के महल प्रवेश का वर्जन
उसने किया सहर्ष अनुकरण
रखा उन्हें महल के बाहरी प्रांगण
इस आशा से अवसर देकर कि
स्वयं करे स्वीकार समर्पण
अनुमति बिन कभी स्पर्श
ना करने का था उसका वज्र वचन
जिसका अंत तक रावण ने किया था निर्वहन
युद्ध हुआ,और इस अनैतिक इच्छा पर हुआबुद्धिमान ,महान रावण का समापन
सीता माँ वैसी ही लौटी जैसा पवित्र था उनका गमन
जो व्यभिचार आज दिखता है,दिखता है जो भ्रष्टाचार
हर दिन हर पल कहीं ना कहीं ,बलात्कार के समाचार
क्यों नहीं करते उनका शमन,
अपने अंतर के दुर्जन का क्यों नहीं हम करते दहन,
क्यों बार बार बेचारे रावण को बुराई का प्रतीक बना कर
करते रहते हम दहन !!
-युगों युगों से, कई वर्षों से
रावण का होता रहता दहन,
गली मोहल्ले चौराहे,
ग्राम ग्राम और नगर नगर
क्योंकि उसने किया कभी था
सीता माँ का अपहरण
पालन था वह,कई नियम ,स्व-अनुशासन
एक वर्ष तक सीता माँ के महल प्रवेश का वर्जन
उसने किया सहर्ष अनुकरण
रखा उन्हें महल के बाहरी प्रांगण
इस आशा से अवसर देकर कि
स्वयं करे स्वीकार समर्पण
अनुमति बिन कभी स्पर्श
ना करने का था उसका वज्र वचन
जिसका अंत तक रावण ने किया था निर्वहन
युद्ध हुआ,और इस अनैतिक इच्छा पर हुआबुद्धिमान ,महान रावण का समापन
सीता माँ वैसी ही लौटी जैसा पवित्र था उनका गमन
जो व्यभिचार आज दिखता है,दिखता है जो भ्रष्टाचार
हर दिन हर पल कहीं ना कहीं ,बलात्कार के समाचार
क्यों नहीं करते उनका शमन,
अपने अंतर के दुर्जन का क्यों नहीं हम करते दहन,
क्यों बार बार बेचारे रावण को बुराई का प्रतीक बना कर
करते रहते हम दहन !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें