शब्दों का खेल ——–
कितने जादूगर हैं शब्द
,”आई लव यू ”
कहते सुनते ,शरमा जाती है हर “हीर”
खुश हो जाता है हर “राँझा”
सहानुभूति के दो शब्दों से सांत्वना पाते है
वो ,जो दुखी हैं किसी भी कारण से
शब्दों से ही ठग लेते हैं लोग
भोले भाले एवं निष्पाप निष्कपट को ,
सुबह दोपहर शाम सुने हम
नेताओं के आश्वस्ति पूर्ण शब्द
शब्द होते हैं घातक शस्त्र
इसके सांघातिक आघात से
आहत हो जाते हैं मन ,अंतर्मन
कोमल मन वाले ही समझ पाते हैं
उसका कम्पन स्पंदन
और पढ़ पाते हैं हैं वो शब्द
जो पूर्ण रूप से होते “निःशब्द” !
,”आई लव यू ”
कहते सुनते ,शरमा जाती है हर “हीर”
खुश हो जाता है हर “राँझा”
सहानुभूति के दो शब्दों से सांत्वना पाते है
वो ,जो दुखी हैं किसी भी कारण से
शब्दों से ही ठग लेते हैं लोग
भोले भाले एवं निष्पाप निष्कपट को ,
सुबह दोपहर शाम सुने हम
नेताओं के आश्वस्ति पूर्ण शब्द
शब्द होते हैं घातक शस्त्र
इसके सांघातिक आघात से
आहत हो जाते हैं मन ,अंतर्मन
कोमल मन वाले ही समझ पाते हैं
उसका कम्पन स्पंदन
और पढ़ पाते हैं हैं वो शब्द
जो पूर्ण रूप से होते “निःशब्द” !
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