Waqt Bewaqt !
मत इतरा तू ,मत इतनी शेखी बघार तू,
जैसी आई है सबकी ,तेरी भी बारी आएगी
नाते रिश्ते,दौलत शोहरत ,यहीं धरी रह जाएगी
थोड़ी सी भी अक्ल अगर है ,
जी ले जी भर के ,कर उच्च कर्म तू
वर्ना रुपयों पैसों की ,जोड़ा जोड़ी ,कुछ भी काम ना आएगी
कितना करता तू जोड़ तोड़ ,रुपये पैसे की मचाता है होड़
मौत के ख़याल को कर मुल्तवी ,सपनो में बस देखे करोड़
जिस नियति ने भेजा धरती पर ,इक दिन वही उठाएगी
बीच राह से ,मध्यांतर में ,कब ,कहाँ, कैसे और क्यों
तेरी सोच पहुँच ना पाएगी
अंतिम सांस कहाँ लगा तू ,कौन सी अंतिम होगी घडी
आज तक जान सका ना कोई ,तुझसे ना जानी जायेगी
सजी सजाई ,सुन्दर ,निरुपम ,तेरी काया
राख की इक ,नन्ही ढेरी बन जाएगी
नदी के किसी बहाव में फिर ,किसी अपने के ही हाथों ,
दूर बहा दी जाएगी
अस्तित्व के इस अंत को भी ,दुनिया भूल जाएगी
परमात्मा से वर्षों से विलगित, आत्मा अनंत में खो जाएगी
जैसी आई है सबकी ,तेरी भी बारी आएगी
नाते रिश्ते,दौलत शोहरत ,यहीं धरी रह जाएगी
थोड़ी सी भी अक्ल अगर है ,
जी ले जी भर के ,कर उच्च कर्म तू
वर्ना रुपयों पैसों की ,जोड़ा जोड़ी ,कुछ भी काम ना आएगी
कितना करता तू जोड़ तोड़ ,रुपये पैसे की मचाता है होड़
मौत के ख़याल को कर मुल्तवी ,सपनो में बस देखे करोड़
जिस नियति ने भेजा धरती पर ,इक दिन वही उठाएगी
बीच राह से ,मध्यांतर में ,कब ,कहाँ, कैसे और क्यों
तेरी सोच पहुँच ना पाएगी
अंतिम सांस कहाँ लगा तू ,कौन सी अंतिम होगी घडी
आज तक जान सका ना कोई ,तुझसे ना जानी जायेगी
सजी सजाई ,सुन्दर ,निरुपम ,तेरी काया
राख की इक ,नन्ही ढेरी बन जाएगी
नदी के किसी बहाव में फिर ,किसी अपने के ही हाथों ,
दूर बहा दी जाएगी
अस्तित्व के इस अंत को भी ,दुनिया भूल जाएगी
परमात्मा से वर्षों से विलगित, आत्मा अनंत में खो जाएगी
परमात्मा की अंश कृति ,उसमे ही लीन हो जाएगी !
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