वो 49 दिन ——
कभी नहीं भुला पाये दिल्ली के लोग वो 49 दिन
कितने सुहाने,समस्या विहीन वो 49 दिन
जब भ्रष्टाचारियों की सरकी हुयी थी फूंक
हर विभाग में ,
प्रति दिन 1200 लीटर मुफ्त पानी में नहा रही थी दिल्ली
बिजली के आधे बिल की ख़ुशी से छलक रही थी दिल्ली
फटाफट हो रहे थे सरकारी दफ्तरों में काम
चाहे लायसेंस बनवाना हो ,या करवाना हो कुछ और काम
सभी भ्रष्टाचारियों को खौफ था ,कहीं “स्टिंग “ना हो जाए
15 अगस्त 1947 से आज तक जो ना कर पाई थी कोई सरकार
और आज भी इस बात का दावा नहीं कर पा रही है कोई पार्टी
सिवाय “आप” के
,क्योंकि सभी पार्टियों की आधारशिला ही होती है भ्रष्टाचार
“कुर्सी” होती है उसके लिए “दुधारू गाय”
जिसे “छक कर ” दुहना चाहता है वह पांच वर्ष ,फिर पांच वर्ष
और फिर आने वाले कई पांच वर्ष
इसीलिए मित्रों एक बार फिर ” आप” की सरकार
खरी उतरी तो हर बार “आप” की सरकार !
कभी नहीं भुला पाये दिल्ली के लोग वो 49 दिन
कितने सुहाने,समस्या विहीन वो 49 दिन
जब भ्रष्टाचारियों की सरकी हुयी थी फूंक
हर विभाग में ,
प्रति दिन 1200 लीटर मुफ्त पानी में नहा रही थी दिल्ली
बिजली के आधे बिल की ख़ुशी से छलक रही थी दिल्ली
फटाफट हो रहे थे सरकारी दफ्तरों में काम
चाहे लायसेंस बनवाना हो ,या करवाना हो कुछ और काम
सभी भ्रष्टाचारियों को खौफ था ,कहीं “स्टिंग “ना हो जाए
15 अगस्त 1947 से आज तक जो ना कर पाई थी कोई सरकार
और आज भी इस बात का दावा नहीं कर पा रही है कोई पार्टी
सिवाय “आप” के
,क्योंकि सभी पार्टियों की आधारशिला ही होती है भ्रष्टाचार
“कुर्सी” होती है उसके लिए “दुधारू गाय”
जिसे “छक कर ” दुहना चाहता है वह पांच वर्ष ,फिर पांच वर्ष
और फिर आने वाले कई पांच वर्ष
इसीलिए मित्रों एक बार फिर ” आप” की सरकार
खरी उतरी तो हर बार “आप” की सरकार !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें