कौन करता है आम आदमी की बात ,
कौन महसूस करता है आम आदमी का दर्द
उसकी ज़िन्दगी की ज़द – ओ – जहद
उसके दिल – ओ – दिमाग की कश्मकश
महीने के बजट में सिकुड़ सिमट कर जीने की
हर हसरत को मुल्तवी किये जाने की
मज़बूर दास्तान
सोने चांदी तो दरकिनार
महँगी सब्ज़ियों को भी ,ललचाई नज़रों से देखने की चाहत
बिजली पानी के बिल को देखते हुए
धड़कता हुआ दिल
और बस यही कभी ख़त्म न होने वाली
अपनी औलाद को दी जाने वाली
घिसटती ज़िन्दगी की ,पुश्त दर पुश्त,विरासत !
कौन महसूस करता है आम आदमी का दर्द
उसकी ज़िन्दगी की ज़द – ओ – जहद
उसके दिल – ओ – दिमाग की कश्मकश
महीने के बजट में सिकुड़ सिमट कर जीने की
हर हसरत को मुल्तवी किये जाने की
मज़बूर दास्तान
सोने चांदी तो दरकिनार
महँगी सब्ज़ियों को भी ,ललचाई नज़रों से देखने की चाहत
बिजली पानी के बिल को देखते हुए
धड़कता हुआ दिल
और बस यही कभी ख़त्म न होने वाली
अपनी औलाद को दी जाने वाली
घिसटती ज़िन्दगी की ,पुश्त दर पुश्त,विरासत !
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