मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

Late Shri Purushottam Govind Perlekar's Sankalan !! {177}

मुमकिन नहीं की हालात की गुत्थी सुलझे ,
अहले दानिश ने बहुत सोच के उलझाया है!—तारकेश्वरी सिन्हा
हमें अपना गम नहीं है ,          
                                          मुन्तजिर रहते हैं,
खाक में मिल जाते हैं ,
                                     ख़ामोशी से असर पैदा करते हैं!
जिनके महलों में हजारों रंगों के फानूस थे,
झाड उनकी कब्र पर, बाकी निशां कोई नहीं!
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शै है ,
जिसने  भी  डाली  बुरी नज़र  डाली!
दिल इस तरह  से रो मेरी आँख तर न हो ,
उनको ही खबर हो और किसी को खबर न हो!
खुदा ने हुस्न नादानों को बख्शा शर रजीलों को,
अक्लमंदों को रोटी खुश्क औ हलुआ बखीलों को
खाली सुबू से शोर की आवाज़ अयाँ
पानी से भर गए तो फिर खामोश हो गए!
डूबने का खौफ गर क्यों गर है खुद ही नाखुदा,
कश्ती तेरी पार होगी और न हो कोई जुदा!
काँटों से भी ख़राब है,जिस गुल में बू न हो,
वीरान के मिसाल है जिस दिल में तू न हो!



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller (131) Apradh !!

Though Geeta Devi was very formal to both the families upstairs and the only family.A Sweets box was sent to them individually. They insist...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!