वादा—–
बहुत बुरा किया,
तेरे वादे पे ऐतबार किया,
रोज तेरा इंतजार किया,
सुबह दोपहर सरे शाम किया,
मेरी जिंदगी मानो बन गई इंतजार तेरा,
मेरे रोजनामचे में,
दिन के हर पन्ने पे,
बस लिखा है नाम तेरा,
न तू आया ,न आई कोई खबर तेरी,
हर दिन दिल को तसल्ली दी मैंने,
थोडा सा पुचकार दिया,
छटपटा रही हूं ,
तड़प रही हूं निकल भागने को,
हाय तूने मुझे ये कैसा आज़ार दिया!
शब्द अर्थ—ऐतबार–विश्वास,रोजनामचा—रोज लिखी जाने वाली दिनचर्या की डायरी,आज़ार –बीमारी
वफादार——
जितनी बेमिसाल है वफादारी जानवर की,
उतनी ही बेमिसाल है,बेवफाई इंसान की,
थोडा प्यार थोड़ी सी पुचकार,
और महज एक रोटी का टुकड़ा पाकर,
बन जाता है जानवर त़ा उम्र का वफादार,
वक़्त आने पर कर देता है आपके लिये जां निसार,
और इंसान?
इसे चाहे कुछ भी दे दो,
न इसका भरता पेट,न आता है करार,
हर वक़्त इसके निशाने पे रहते है आप ,
जब भी मिलेगा मौका,करेगा बदनाम,
करेगा गिराने की कोशिश,
या हाथ में लेकर खंजर,
घोंप देगा पीठ में,पेट में ,या सीने में,
क़त्ल कर देगा ऐतबार,
क्योंकि इंसान नहीं होता वफादार!
शब्द अर्थ—बेमिसाल–अतुलनीय,निसार–उत्सर्ग
वक़्त——————
वक़्त समेटे रहता है यादें,
अच्छी यादें,बुरी यादें,
खट्टी मीठी यादें,
खुद तो चलता रहता है बदस्तूर,
लेकिन छोड़ जाता है दिलों में ठहरी हुई यादें,
लौट कर नहीं आता कभी वक़्त,न अच्छा, न बुरा,
लेकिन रह रह कर दस्तक देती है ,पुरानी यादें,
मन मोहतीं हैं ,लातीं हैं,होठों पर मुस्कुराहटें ,सुहानी यादें,
उदासी के कुहासे में ढकी,
दिलों को धीमे धीमे सुलगाती हैं ,कडवी यादें,
सिहर उठते हैं जिस्म,लरज़ते हैं दिल,
जो हों जिंदगी में कुछ खौफनाक यादें!
शब्द अर्थ—बदस्तूर–निरंतर,लाराज़ना–सिहरना,कुहासा–धुंध
वजूद———————–
जिसे तुम याद हो,
उसे कुछ और क्यूँ याद रहे,
तुम जिसे याद करो उसे,
ज़रुरत क्या कुछ और याद करने की,
तुम जिसपे हो मेहरबान,
उसे ज़रुरत क्या किसी और मेहरबानी की,
जिसकी हिफाज़त तुम करो,
उसे ज़रुरत क्या किसी मुहाफ़िज़ की,
तुम्ही तो हो जर्रे जर्रे में मौजूद,
क्या मैं और क्या मेरा वजूद!
शब्द-अर्थ–वजूद–अस्तित्व,मुहाफ़िज़–रक्षा करने वाला
बहुत बुरा किया,
तेरे वादे पे ऐतबार किया,
रोज तेरा इंतजार किया,
सुबह दोपहर सरे शाम किया,
मेरी जिंदगी मानो बन गई इंतजार तेरा,
मेरे रोजनामचे में,
दिन के हर पन्ने पे,
बस लिखा है नाम तेरा,
न तू आया ,न आई कोई खबर तेरी,
हर दिन दिल को तसल्ली दी मैंने,
थोडा सा पुचकार दिया,
छटपटा रही हूं ,
तड़प रही हूं निकल भागने को,
हाय तूने मुझे ये कैसा आज़ार दिया!
शब्द अर्थ—ऐतबार–विश्वास,रोजनामचा—रोज लिखी जाने वाली दिनचर्या की डायरी,आज़ार –बीमारी
वफादार——
जितनी बेमिसाल है वफादारी जानवर की,
उतनी ही बेमिसाल है,बेवफाई इंसान की,
थोडा प्यार थोड़ी सी पुचकार,
और महज एक रोटी का टुकड़ा पाकर,
बन जाता है जानवर त़ा उम्र का वफादार,
वक़्त आने पर कर देता है आपके लिये जां निसार,
और इंसान?
इसे चाहे कुछ भी दे दो,
न इसका भरता पेट,न आता है करार,
हर वक़्त इसके निशाने पे रहते है आप ,
जब भी मिलेगा मौका,करेगा बदनाम,
करेगा गिराने की कोशिश,
या हाथ में लेकर खंजर,
घोंप देगा पीठ में,पेट में ,या सीने में,
क़त्ल कर देगा ऐतबार,
क्योंकि इंसान नहीं होता वफादार!
शब्द अर्थ—बेमिसाल–अतुलनीय,निसार–उत्सर्ग
वक़्त——————
वक़्त समेटे रहता है यादें,
अच्छी यादें,बुरी यादें,
खट्टी मीठी यादें,
खुद तो चलता रहता है बदस्तूर,
लेकिन छोड़ जाता है दिलों में ठहरी हुई यादें,
लौट कर नहीं आता कभी वक़्त,न अच्छा, न बुरा,
लेकिन रह रह कर दस्तक देती है ,पुरानी यादें,
मन मोहतीं हैं ,लातीं हैं,होठों पर मुस्कुराहटें ,सुहानी यादें,
उदासी के कुहासे में ढकी,
दिलों को धीमे धीमे सुलगाती हैं ,कडवी यादें,
सिहर उठते हैं जिस्म,लरज़ते हैं दिल,
जो हों जिंदगी में कुछ खौफनाक यादें!
शब्द अर्थ—बदस्तूर–निरंतर,लाराज़ना–सिहरना,कुहासा–धुंध
वजूद———————–
जिसे तुम याद हो,
उसे कुछ और क्यूँ याद रहे,
तुम जिसे याद करो उसे,
ज़रुरत क्या कुछ और याद करने की,
तुम जिसपे हो मेहरबान,
उसे ज़रुरत क्या किसी और मेहरबानी की,
जिसकी हिफाज़त तुम करो,
उसे ज़रुरत क्या किसी मुहाफ़िज़ की,
तुम्ही तो हो जर्रे जर्रे में मौजूद,
क्या मैं और क्या मेरा वजूद!
शब्द-अर्थ–वजूद–अस्तित्व,मुहाफ़िज़–रक्षा करने वाला
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