जिंदगानी———–
मेरी दीवानगी है तू,
बेइंतहा मोहब्बत है तुझसे,
हर सांस में बसी है तू,
पोर पोर में समाई है तू,
खुशियों की परवानगी है तू,
तेरी आंखों से देखती हूं दुनिया,
तू चाहत है मेरी,
ए महबूबा,मेरी खुशियों की बानगी है तू,
तू मुझमे,तुझमे हूं मैं,
क्यों कि मेरी जिंदगानी है तू!
शब्द अर्थ–परवानगी–स्वीकृति
हुक्मरान———–
मर गया ज़मीर,ईमान भी ख़त्म हो गया,
सच फ़कीर हुआ,झूठ शहंशाह बन गया,
गुनाहगारों की जमात,बढती चली गई,
अच्छे लोगों का कारवां ,कब का गुजर गया,
मुल्क चल रहा है कैसे रहनुमा तो फ़ना हो गया,
नीयत किसकी साफ़ है,कहाँ होती है नुमाया,
जिन्दा ही दफ्न हो गया सुकून,
हर और दिखे दहशत का साया,
खुशहाल है हुक्मरान,
मोहताज़ है रिआया!
शब्द अर्थ—हुक्मरान–नेता,रिआया–जनता
कशिश—–
ख्वाबों का खरीदार है कोई,
कोई फरोश है ख्वाबों का,
मजबूर वो है जो बस देखता है ख्वाब,
उनकी ताबीर पर उसका इख़्तियार नहीं होता,
ख्वाबों से भरी है सारी दुनिया,
हर दिल में ख्वाबों का अंबार
अक्सर मुल्तवी किये जाते हैं,
या फिर रद्द हो जाते हैं खुद बी खुद,
कितने हसीन ,कितने पुरकशिश हैं ख्वाब,
कितनी एहतियातों से बुने जाते हैं ,
तसव्वुर में कितने अपने लगते हैं,
जब हकीकतों की चट्टानों से टकराते हैं,
तो चूर चूर हो जाते हैं ख्वाब,
जिंदगी टिकी होती है ख्वाबों पर,
जीने का बायस होते हैं ख्वाब,
सहरा बन जाए इंसान का दिल,
गर न हों हर दिल में ख्वाब,
ये रेशमी,ये मखमली ख्वाब,
खुश्क हकीकतों से दूर,
जन्नत की सैर कराते ख्वाब!
शब्द अर्थ—फरोश—बेचनेवाला,मुल्तवी–टालना,कशिश–आकर्षण
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें