मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

मंगलवार, 17 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !! Shri Guru Gita !!

{अथ  श्री गुरुगीता प्रारंभ }

ॐ अस्य श्री गुरु गीता स्त्रोत्र मंत्रस्य भगवान 
सदाशिव ऋषि। नाना विधानी छन्दासि। 
श्री गुरु परमात्मा देवता। हम बीजम। सः  शक्तिः। 
क्रो  कीलकम। श्री गुरुप्रसाद सिद्धयर्थे जपे विनियोगः 

{ अथ  ध्यानम }
हंसाभ्या परिवृत्त कमलै दिव्ये रजत कारनै 
विश्वोत्तकीर्ण मानेक देह निलये स्वच्छन्द मातमेन्द कं 
तद्योतम पदशाभवम तू चरणम दीपां कुर  ग्राहिणम 
प्रत्यक्षाक्षर विग्रह गुरुपदम ध्याये द्विभुम शाश्वतं 
मम चतुर्विध पुरुषार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोग !

संसारवृक्ष मारूढा हा पतंति नरकार्णवे 
एंव घृत मिदं तस्मै श्री गुरुवै  नमः 

गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर 
गुरु साक्षात् पर ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवै नमः 

अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानांजन शलाकया 
चक्षु रुन्मिलित येन तस्मै श्री गुरुवै नमः 

अखंड मंडलाकारम व्याप्तम येन चराचरम 
तत्पद दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवै  नमः 

स्थावर जंगमं व्याप्तम यत्किञ्चितं स चराचरम 
तत्पदं दर्शित येन तस्मै श्री गुरुवै  नमः 

सर्व श्रुति  शिरोरत्न बिराजित पदांबुजं 
वेदांताबूज सूर्योय तस्मै श्री गुरुवै नमः 

चैतन्यम शाश्वतं शान्तम व्योमातीतं निरंजनम 
विन्दुनाद कलातीतं तस्मै श्री गुरुवै नमः 

ज्ञानशक्ति समारुढा सत्त्व माला विभूषितः 
भुक्ति मुक्ति प्रदातनच तस्मै श्री गुरुवै नमः 

अनेक जन्म सम्प्राप्त कर्मबंध विदाहिने 
आत्मज्ञान प्रदानेन तस्मै श्री गुरुवै नमः 

शोषणम भवसिंधुश्च ज्ञापनम सार सम्पदाम 
गुरो पादोदकं सम्यक तस्मै श्री गुरूवै नमः 

न गुरोरधिकं तत्वम न गुरोरधिकं तपः 
तत्वज्ञानात परम नास्ति तस्मै श्री गुरूवै नमः 

मन्नाथः श्री जगन्नाथः मद्गुरु श्री जगतगुरु 
मदात्मा सर्व भूतात्मा तस्मै श्री गुरूवै नमः 

गुरुरादिर नादिस्च गुरुः परम देवतां 
गुरो परतरम्भ नास्ति तस्मै श्री गुरूवै नमः 

अखण्डानन्द बोधाय शिष्य संताप हारिणे 
सच्चिदानंद रूपाय तस्मै  श्री गुरूवै नमः 

यस्य कारण रूपस्य कार्य रूपेण भक्तियत 
कार्य कारण रूपाय तस्मै श्री गुरूवै नमः 

यत्सत्येन जगत सत्यम यत प्रकाशेन भांतियत 
याद ननदें नन्दन्ति तस्मै श्री गुरूवै नमः 

यस्य ज्ञानम दिदम विश्वम न द्रश्य भिन्न भेदतः 
सडक रूप रूपाय तस्मै श्री गुरूवै नमः 

यस्यामत तस्य मत मतं यस्य न वेद सः 
अनन्य भाव भावाय तस्मै श्री गुरूवै नमः !!

गुरुरेव जगत्सर्व ब्रम्हा विष्णु शिवात्मकं 
गुरो परतरं नास्ति तस्मात् सम्पूजयते गुरु 

ईश्वरो गुरु रात्मेति ,मूर्ति भेद विभागिने 
व्योमवत व्याप्त देहायः तस्मै श्री गुरुवै नमः 

अत्रि नेत्र सर्व साक्षी अचरतु बाहु च्युतम 
अचरतु वदनो ब्रम्हा श्री गुरु कथितः प्रिये 

हरौ रुष्टे गुरुस्त्राता गुरु कष्टेन कश्चन 
तस्मात् सर्व प्रयत्नेन श्री गुरु शरणं व्रजेत 

त्वम पिता त्वंच में माता त्वम बंधुत्वम च देवता 
संसार प्रति बोधार्थ तस्मै श्री गुरुवै नमः 

नमो असवंताय सहस्त्र मूर्तये 
सहस्त्र पादाः क्षि शिरोरू बाहवे 

सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते 
सहस्त्र कोटि युग धारिणे नमः 

गुरु वक्रस्थितम ब्रम्ह प्राप्यते तत्प्रसादतः 
गुरो र्ध्यानम सदा कुर्यात कुल स्त्री स्वापतेर्यथा 

सकल भुवन सृष्टि कल्पिता शेष पुष्टि 
निखिल निगम दृष्टि सम्पदा व्यर्थ दृष्टि 

अवगुण परिमार्ष्टि स्तप्तदायिक दृष्टि 
र्भव गुण परमेष्टि मोक्ष मार्मिक दृष्टि 

सकल भुवन रंग स्थापना स्तम्भ यष्टि 
सकरुण रास वृष्टि स्तत्व माला समष्टि 
सकल समय सृष्टि सचिदानंद दृष्टि 
निरवस्तु मयि नित्यं श्री गुरोर्दिव्य दृष्टि 

अनंत काल माप्नोति गुरुगीता जपें तु 
सर्व पापं प्रशमतं सर्व दारिद्रय नाशनम
काल मृत्यु भय हरम सर्व संकट नाशनम 
यक्ष राक्षस भूतानां चोर व्याघ्र भयापहम 

महाव्याधि हर सर्व विभूति सिद्धिदं भवेत् 
अथवा मोहन वस्य स्वयमेव जपे सदा

सर्व बाधा प्रशमनं धर्मार्थ काम मोक्षदं 
यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितः 

कामितस्य कामधेनु कल्पना कल्प पादकः 
चिंतामणि श्चिति तस्य्ह सर्व मंगल कारकः 

शरीर मिन्द्रिय प्राणा श्चार्थ स्वजन बान्धवा 
माता पिता कुलदेवी गुरुरेव न संशयम 

सर्व संदेह रहितो मुक्तो भवति पार्वती 
भुक्ति मुक्ति द्वयं तस्य जिव्य्हाग्रे च सरस्वती  

एको देव एक धर्म एक निष्ठां परं तपः 
गुरो परंतर नान्यम न्नास्ति तत्वम गोरो परम 

असिद्ध साधके त कार्य नाव गृह भयापहम 
दुःस्वप्नम नाशनम चैव सुस्वप्न फलदायकम 

सत्यम सत्यम पुनः सत्यम धर्म सांख्य मयोदितं 
गुरु गीता समं नास्ति सत्यम सत्यम वरानने 

संसार सागर समुद्र नैक मंत्रम 
ब्रम्हादिदेव मुनि पूजित सिद्ध मन्त्र 
दरिद्र दुःख भवरोग विनाशमन्त्र 
वंदे  महा  भय हरम गुरु राजमंत्रम !



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller ( 165) Apradh !!

Geeta Devi had a crooked idea in her mind. She was waiting Vineeta to sleep. When she saw , she slept she spilled the kerosene from the stov...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!