साष्टांग नमस्कार-----उरसा ,शिरसा ,दृष्टया ,मनसा ,पदभ्याम ,कराभ्याम ,जानुभ्याम --एतद अष्टांग लक्षणम
भजन ----अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में
है जीत तुम्हारे हाथों में ,है हार तुम्हारे हाथों में
मेरा निश्चय बस एक यही इक बार तुम्हे पा जाऊं मैं
अर्पण कर दूँ दुनिया भर का सब प्यार तुम्हारे हाथों में --भगवान् तुम्हारे हाथों में
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ ज्यों जल में कमल का फूल रहे
मेरे सब गुणदोष समर्पित हों भगवान् तुम्हारे हाथों में --भगवान् तुम्हारे हाथों में
यदि मानव का मुझे जन्म मिले तो तव चरणों का पुजारी बनूँ
इस पूजक की एक एक रग का हो तार तुम्हारे हाथों में --भगवान् तुम्हारे हाथों में
जब जब संसार का कैदी बनूँ निष्काम भाव से कर्म करूँ
फिर अंत समय में प्राण तजूं साकार तुम्हारे हाथों में। भगवान् तुम्हारे हाथों में
मुझमे तुझमे बस भेद यही ,मैं नर हूँ तू नारायण है
मैं हूँ संसार के हाथों में ,संसार तुम्हारे हाथों में --भगवान् तुम्हारे हाथों में !
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