१. जपा कुसुम ---सम महा कांतिमय कश्यप की संतान ,तम के शत्रु ,पाप के नायक रवि को प्रथम प्रणाम
२ हिम दधि शंख सदृश आभायुक्त क्षीर सिंधु संतान ,हिम---सुधा पूर्ण --शिव के आभूषण हे ! शशि !तुम्हे प्रणाम
३ धरणी गर्भ ----प्रसूत तड़ित सी जिसमे ज्योति महान --शक्ति हरण ---वसुधा कुमार ,हे मंगल तुम्हे प्रणाम
४ नवल प्रियंगु --कलि से श्यामल ,अनुपम रूप ललाम --सौम्य सरल गुण से मंडित बुधवर तुम्हे प्रणाम
५ देव तथा ऋषियों के गुरुवर कनक कांति के धाम बुद्धिरूप त्रैलोक्य ईश हे सुरगुरु तुम्हे प्रणाम
६ हिम औ कुंद मृणाल कलि धर असुरों के गुरुपूज्य सब शास्त्रों के विश्रुत वक्ता कविवर शुक्र प्रणाम
७ नीलांजन --समकान्ति सूर्य सुत ,यम के भाई जेष्ठ छाया औ मार्तण्ड समुद्भव हे शनि तुम्हे प्रणाम
८ अर्ध गात्र अद्भुत तेजस्वी रवि शशि मर्दक नित्य गर्भ सिंहिका से जन्मे जो ऐसे राहु प्रणाम
९ आभा मध्य पलाश पुष्प सम गृह तारक अवतंस उग्र उग्रता के परि पोषक सादर केतु प्रणाम !
२ हिम दधि शंख सदृश आभायुक्त क्षीर सिंधु संतान ,हिम---सुधा पूर्ण --शिव के आभूषण हे ! शशि !तुम्हे प्रणाम
३ धरणी गर्भ ----प्रसूत तड़ित सी जिसमे ज्योति महान --शक्ति हरण ---वसुधा कुमार ,हे मंगल तुम्हे प्रणाम
४ नवल प्रियंगु --कलि से श्यामल ,अनुपम रूप ललाम --सौम्य सरल गुण से मंडित बुधवर तुम्हे प्रणाम
५ देव तथा ऋषियों के गुरुवर कनक कांति के धाम बुद्धिरूप त्रैलोक्य ईश हे सुरगुरु तुम्हे प्रणाम
६ हिम औ कुंद मृणाल कलि धर असुरों के गुरुपूज्य सब शास्त्रों के विश्रुत वक्ता कविवर शुक्र प्रणाम
७ नीलांजन --समकान्ति सूर्य सुत ,यम के भाई जेष्ठ छाया औ मार्तण्ड समुद्भव हे शनि तुम्हे प्रणाम
८ अर्ध गात्र अद्भुत तेजस्वी रवि शशि मर्दक नित्य गर्भ सिंहिका से जन्मे जो ऐसे राहु प्रणाम
९ आभा मध्य पलाश पुष्प सम गृह तारक अवतंस उग्र उग्रता के परि पोषक सादर केतु प्रणाम !
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