आदिदेव नमस्तुभ्यम प्रसीद मम भास्कर
दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोस्तुते
सप्ताश्वर धमारूढं प्रजण्ड कश्यम आत्मजम
श्वेत पह्म धरम देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
लोहित समारूढं सर्व लोक पितामहम
महापाप हर देवम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
त्रैगुण्यम च महा शूरं ब्रम्ह विष्णु महेश्वरम
महापाप हरं देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
ब्राहितम तेजः पुञ्ज म च वायुमाकाश मै व् च
प्रभुम च सर्व लोकानाम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
बंधूक पुष्प संकाशम हार कुंडल भूषितम
एक चक्र धरं देवम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
तं सूर्य जयत कर्तारं महातेजः प्रदीपनम
महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञान विधान मोक्षदम
माह पाप हरं देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम !!
दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोस्तुते
सप्ताश्वर धमारूढं प्रजण्ड कश्यम आत्मजम
श्वेत पह्म धरम देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
लोहित समारूढं सर्व लोक पितामहम
महापाप हर देवम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
त्रैगुण्यम च महा शूरं ब्रम्ह विष्णु महेश्वरम
महापाप हरं देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
ब्राहितम तेजः पुञ्ज म च वायुमाकाश मै व् च
प्रभुम च सर्व लोकानाम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
बंधूक पुष्प संकाशम हार कुंडल भूषितम
एक चक्र धरं देवम तं सूर्यम प्रणमाम्यहम
तं सूर्य जयत कर्तारं महातेजः प्रदीपनम
महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञान विधान मोक्षदम
माह पाप हरं देवं तं सूर्यम प्रणमाम्यहम !!
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