जीव - निर्जीव !!
निर्जीव वस्तुओं पर मरता रहता है मानव का जीव
कागज़ के नोट,बंगला ,गाडी ,ज़मीन जायदाद
ब्रांडेड कपडे,जूते ,जूलरी ,शान ओ शौकत के सामान
जीव छोड़ देता शरीर को,छोड़ शरीर निर्जीव
जलकर दफ़्न होकर हो जाता पञ्च तत्व विलीन
निर्जीव सारा जीवित रहता,मानो उसमे हो जीव
ताबेदार बदलते रहते,बदलते जाए वारिस
चलता रहता यही सिलसिला निरंतर,सृष्टि की यही है रीत !!
निर्जीव वस्तुओं पर मरता रहता है मानव का जीव
कागज़ के नोट,बंगला ,गाडी ,ज़मीन जायदाद
ब्रांडेड कपडे,जूते ,जूलरी ,शान ओ शौकत के सामान
जीव छोड़ देता शरीर को,छोड़ शरीर निर्जीव
जलकर दफ़्न होकर हो जाता पञ्च तत्व विलीन
निर्जीव सारा जीवित रहता,मानो उसमे हो जीव
ताबेदार बदलते रहते,बदलते जाए वारिस
चलता रहता यही सिलसिला निरंतर,सृष्टि की यही है रीत !!
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