मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शनिवार, 3 जून 2017

Waah Re Zindagi !!

वाह रे जिंदगी !!

ऐसी तैसी ,जाने कैसी
जैसी भी बस बीत गई
कभी उठा और कभी पटक
उजड़ते बसते बीत गई
कभी यहाँ और कभी वहाँ
बसने की चाहत में उखड़ते बीत गई
कभी ये कभी वो ,कभी मीठी कभी खट्टी
कभी कड़वी कसैली सी बीत गई
सुदूर प्रांतों के पार बस्तियों में
ख़ाक छानती सी बीत गई
कभी आगे बढती ,कभी पिछड़ती
लगती जहाँ की तहाँ सी बीत गई
ठहरी नहीं कभी भी ये
कभी सुहानी विदेश यात्राओं में बीत गई
कभी रूठी रही मुंह फुलाए सी
कभी ख़ुशी सी बरसती बीत गई
जोड़ बाकी गुणा भाग करते रह गए हम
हाथ से गिरती रेत सी बीत गई
जाने क्या पाने की होड़ में लगे हैं सारे
बटोरते बटोरते ही बीत गई
रूपया पैसा ,ज़मीन जायदाद बढ़ाते
वक़्त घटाते रिश्ते घटाते बीत गई
कभी बड़ी काम की सी लगी
कभी ख़ामख़्वाह सी बीत गई !!

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