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गुरुवार, 13 जुलाई 2017

SWA !!

स्व ----

क्या होता है "स्व"
एक इंसान का वजूद,एक शख्सियत
पैदा होने से पहले ही
शुरू हो जाता है जिसका सफर
पैदा होने के बाद चलता रहता है ,
तब तक ,जब तक
चार कन्धों पर सवार होता है
करने को अपना आखरी सफर
और इस जीवन के पूरे सफर में
उसके ,सिर्फ उसीके होते हैं ,
 शारीरिक कष्ट,मानसिक दबाव ,
सामाजिक क्लेश,जिम्मेदारियां ,और वेदनाएं
वह बाँट सकता है ज़ुबानी तौर पर
लेकिन भोगता है स्वयं ही
अकेले,नितांत अकेले,
खुशियों के तो होते हैं कई हिस्सेदार
लेकिन परेशानियों का अकेला वो ही
होता है ताबेदार 
साथ ही, दिल में छुपे रहते हैं उसके ज़ख्म
ओढ़े रहते हैं होठों पर मुस्कान
और ,जो हो जाते हैं उजागर ,दिखने लगते हैं बाहर
उन्हें सिर्फ मिलती है सहानुभूति ,अफ़सोस

क्योंकि दूसरों से उनका नहीं होता है कोई सरोकार !!

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