मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

शनिवार, 23 सितंबर 2017

Dharmshala !!

धर्मशाला !!

जब से मैंने बचपन में शुरू की थी पाठशाला 
तब से ही आँखें विस्फारित है 
मन विस्मित है,निरुत्तर,प्रश्नों का अम्बार है किन्तु  
उत्तरों के कक्ष पर लटका है बड़ा सा ताला 
इतिहास की पढ़ाई तो ऐसी लगी 
कभी खत्म ही ना हुआ हो विदेशियों के आने का सिलसिला 
शक, हूण,मुस्लिम मुग़ल ,पोर्तुगीज ,
फ्रेंच अँगरेज़ और ना जाने कौन कौन 
कुछ लुटेरे ,कुछ बेतहाशा खून बहाने वाले 
तैमूर और चंगेज़खान से वहशी दरिंदे 
कुछ यही आ के बस गए मानो 
हिन्दोस्तान जायदाद है उनकी 
हक़ - ए - मेहर में लाई हो उनकी खाला,
आजाद हुआ मुल्क बरसों बाद 
तो सब खुश हुए ,चलो निजात मिली 
लेकिन कहाँ ? जनाब ! यहाँ तो नेताओं के भेस में 
कुर्सी पर जम के बैठे थे वोटों के दलाल 
उन्हें अवाम से क्या निस्बत, वोटों की बदौलत करते रहे 
बरसों तक ,घोटाले पर घोटाला ,
इतने घोटाले किये इन्होने की ,
गिनती करने में उनकी ,मेरे दिमाग में भी 
हो जाता है घोटाला 
ऐसा तो दुनिया में कोई देश ना होगा 
जिसमे कोई पाबन्दी ही ना हो 
आओ ,आके बस जाओ ,
बना डाला है इसे धर्मशाला 
और अब रोहिंग्या की बात चली है 
तो कुछ नेताओं के दिल में फिर से दर्द उठा है 
हमारी रोटी,हमारे रोज़गार ,हमारी सुविधाएं 
फिर से उनके और हिस्सेदार बनाने को हैं तैयार 
ये निकम्मे ,ये दोगले और गद्दार नेता 
जायज़ नाजायज़ वोटों का हरदम जोड़ते हैं हिसाब 
चाचा भतीजा बहनोई साला 
या फिर नक़ाब के पीछे छुपा हुआ कोई 
अपनी असलियत छुपाता " बंगाली रसगुल्ला " !! 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller (22) Apradh !!

  Sujay reach back on time and everyone appeared in exams. Again a week’s holidays were declared and for a good option collage management an...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!