सिख एक ऐसी कौम है, जो अपनी बहादुरी
और ईमानदारी के लिए दुनियाभर में जानी जाती
है. यदि हम इतिहास पर नज़र डालें तो सिखों के ऐसे अनेक योगदान मिलेंगे, जो ये
बताते हैं कि सिखों ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है.
उनके योगदान पर किताबें लिखीं जा सकती हैं. यहां हम आपको
ऐसी ही घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सिखों ने
अपनी बहादुरी और देशभक्ति को दिखाते हुए देश
की रक्षा की.
हैरानी की बात ये है कि सिखों की जनसंख्या भारत
की कुल जनसंख्या का मात्र 2 प्रतिशत है, फिर भी उन्होंने
देश के लिए जो किया है, वो अतुलनीय है.
1. गुरु अर्जन देव जी सिखों के पांचवे गुरु हैं. मुग़ल बादशाह
जहांगीर ने उन्हें इस्लाम क़ुबूल करवाने के लिए उन पर बहुत अत्याचार
किये. 1606 में उन्होंने जब इस्लाम अपनाने से मना कर दिया, तो उन्हें
देगची में उबाल कर और गर्म तवे पर बैठा कर मौत के घाट उतार
दिया गया.
2. सिखों के छठे गुरु, गुरु हर गोबिंद जी ने मुस्लिमों के अत्याचार के खिलाफ
आवाज़ उठाई और अंत तक जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के खिलाफ़ लड़ते
रहे.
3. हिन्दू धर्म को बचाने के लिए भी
सिखों ने दी हैं कुर्बानियां
मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब हर हिन्दुस्तानी को मुस्लिम बना देना चाहता था.
1675 में जब कश्मीरी पंडितों को ज़बरदस्ती
इस्लाम क़ुबूल कराया जा रहा था, तो वो मदद के लिए सिखों के नौंवे गुरु, गुरु तेग बहादुर
सिंह के पास पहुंचे. उन्होंने औरंगज़ेब से कहा कि यदि वो उन्हें इस्लाम क़ुबूल
करवाने में सफल हो गया, तो सभी हिन्दू इस्लाम क़ुबूल कर लेंगे. उन्हें
5 दिनों तक लगातार कठोर यातनाएं देते रहने के बाद भी औरंगज़ेब उनका
धर्म परिवर्तन नहीं करवाया पाया. वो ये सब सहते हुए एक बार दर्द से
चीखे तक नहीं. हर कोशिश कर के हार जाने के बाद
औरंगज़ेब ने चांदनी चौक में उनका सर कलम कर दिया. इस तरह
हिन्दू धर्म को बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी.
उन्हें 'हिन्द की चद्दर' के रूप में याद किया जाता है.
4. सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुस्लिमों से हिन्दुस्तानियों
की धार्मिक स्वतंत्रता को बचाने के लिए लड़ाई की. मुग़लों
की संख्या करोड़ों में थी, एक-एक सिख हज़ारों सैनिकों से
लड़ा. गोबिंद सिंह जी के अपने 2 बेटे युद्धभूमि पर
शहीद हो गए और 2 को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया.
5. 7 शताब्दियों तक भारत पर विदेशियों का राज रहने के बाद बंदा सिंह बहादुर पहले
भारतीय थे, जिन्होंने औरंगज़ेब को हराकर भारत से विदेशियों को भगाया.
6. नादिर शाह द्वारा लूट लिया गया कोहिनूर हीरा रंजित सिंह भारत
वापस लाये .
7. यदि सिखों ने 1819 में कश्मीर को वापस न लाया होता, तो आज
कश्मीर अफगानिस्तान का हिस्सा होता. ज़ोरावर सिंह की
बदौलत लद्दाख भारत का हिस्सा है.
8. सिख अंग्रेज़ो के सामने आत्मसमर्पण करने वाले आखिरी और
उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पहले थे.
9. बाबा राम सिंह ने 1863 में अंग्रेज़ो के खिलाफ़ सत्याग्रह शुरू कर दिया था. 82
सिखों को तोप के आगे बांध कर उड़ा दिया गया था . सिख पहला भारतीय
समुदाय है, जिसे 1897 में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
अपनी बहादुरी और हिम्मत के लिए पहचान मिल गई.
10. जलियांवाला बाग़ सामूहिक हत्याकांड के दोषी जनरल डायर को उधम
सिंह ने सामूहिक सभा के दौरान गोली मार दी. ये करने के बाद वो
भागे नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण कर दिया.
11. स्वतंत्रता आन्दोलन में भगत सिंह का योगदान क्रांतिकारी रहा. उन्हें
23 मार्च, 1931 में फांसी दे दी गई.
12. भले ही सिखों की जनसंख्या भारत की
जनसंख्या का 2 प्रतिशत ही हो पर उनका सेना में बहुत बड़ा योगदान रहा
है. भारतीय सेना में सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में 67% सिख थे.
स्वतंत्रता आन्दोलन में जिन्हें फांसी दी गयी उनमें
77% सिख थे और जिन्हें उम्र कैद दी गई उनमें से 81% सिख थे.
सिखों ने देश और धर्म को बचाने के लिए तो कुर्बानियां दी ही हैं,
इसके अलावा भी उनके कई योगदान हैं. भारत में 40% चावल और 51%
गेंहू पंजाब के किसान उगाते हैं. ये सभी घटनाएं बताती हैं कि
यदि सिखों ने ये कुर्बानियां न दी होती, तो भारत का इतिहास आज
कुछ और ही होता.
और ईमानदारी के लिए दुनियाभर में जानी जाती
है. यदि हम इतिहास पर नज़र डालें तो सिखों के ऐसे अनेक योगदान मिलेंगे, जो ये
बताते हैं कि सिखों ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है.
उनके योगदान पर किताबें लिखीं जा सकती हैं. यहां हम आपको
ऐसी ही घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सिखों ने
अपनी बहादुरी और देशभक्ति को दिखाते हुए देश
की रक्षा की.
हैरानी की बात ये है कि सिखों की जनसंख्या भारत
की कुल जनसंख्या का मात्र 2 प्रतिशत है, फिर भी उन्होंने
देश के लिए जो किया है, वो अतुलनीय है.
1. गुरु अर्जन देव जी सिखों के पांचवे गुरु हैं. मुग़ल बादशाह
जहांगीर ने उन्हें इस्लाम क़ुबूल करवाने के लिए उन पर बहुत अत्याचार
किये. 1606 में उन्होंने जब इस्लाम अपनाने से मना कर दिया, तो उन्हें
देगची में उबाल कर और गर्म तवे पर बैठा कर मौत के घाट उतार
दिया गया.
2. सिखों के छठे गुरु, गुरु हर गोबिंद जी ने मुस्लिमों के अत्याचार के खिलाफ
आवाज़ उठाई और अंत तक जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के खिलाफ़ लड़ते
रहे.
3. हिन्दू धर्म को बचाने के लिए भी
सिखों ने दी हैं कुर्बानियां
मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब हर हिन्दुस्तानी को मुस्लिम बना देना चाहता था.
1675 में जब कश्मीरी पंडितों को ज़बरदस्ती
इस्लाम क़ुबूल कराया जा रहा था, तो वो मदद के लिए सिखों के नौंवे गुरु, गुरु तेग बहादुर
सिंह के पास पहुंचे. उन्होंने औरंगज़ेब से कहा कि यदि वो उन्हें इस्लाम क़ुबूल
करवाने में सफल हो गया, तो सभी हिन्दू इस्लाम क़ुबूल कर लेंगे. उन्हें
5 दिनों तक लगातार कठोर यातनाएं देते रहने के बाद भी औरंगज़ेब उनका
धर्म परिवर्तन नहीं करवाया पाया. वो ये सब सहते हुए एक बार दर्द से
चीखे तक नहीं. हर कोशिश कर के हार जाने के बाद
औरंगज़ेब ने चांदनी चौक में उनका सर कलम कर दिया. इस तरह
हिन्दू धर्म को बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी.
उन्हें 'हिन्द की चद्दर' के रूप में याद किया जाता है.
4. सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुस्लिमों से हिन्दुस्तानियों
की धार्मिक स्वतंत्रता को बचाने के लिए लड़ाई की. मुग़लों
की संख्या करोड़ों में थी, एक-एक सिख हज़ारों सैनिकों से
लड़ा. गोबिंद सिंह जी के अपने 2 बेटे युद्धभूमि पर
शहीद हो गए और 2 को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया.
5. 7 शताब्दियों तक भारत पर विदेशियों का राज रहने के बाद बंदा सिंह बहादुर पहले
भारतीय थे, जिन्होंने औरंगज़ेब को हराकर भारत से विदेशियों को भगाया.
6. नादिर शाह द्वारा लूट लिया गया कोहिनूर हीरा रंजित सिंह भारत
वापस लाये .
7. यदि सिखों ने 1819 में कश्मीर को वापस न लाया होता, तो आज
कश्मीर अफगानिस्तान का हिस्सा होता. ज़ोरावर सिंह की
बदौलत लद्दाख भारत का हिस्सा है.
8. सिख अंग्रेज़ो के सामने आत्मसमर्पण करने वाले आखिरी और
उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पहले थे.
9. बाबा राम सिंह ने 1863 में अंग्रेज़ो के खिलाफ़ सत्याग्रह शुरू कर दिया था. 82
सिखों को तोप के आगे बांध कर उड़ा दिया गया था . सिख पहला भारतीय
समुदाय है, जिसे 1897 में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
अपनी बहादुरी और हिम्मत के लिए पहचान मिल गई.
10. जलियांवाला बाग़ सामूहिक हत्याकांड के दोषी जनरल डायर को उधम
सिंह ने सामूहिक सभा के दौरान गोली मार दी. ये करने के बाद वो
भागे नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण कर दिया.
11. स्वतंत्रता आन्दोलन में भगत सिंह का योगदान क्रांतिकारी रहा. उन्हें
23 मार्च, 1931 में फांसी दे दी गई.
12. भले ही सिखों की जनसंख्या भारत की
जनसंख्या का 2 प्रतिशत ही हो पर उनका सेना में बहुत बड़ा योगदान रहा
है. भारतीय सेना में सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में 67% सिख थे.
स्वतंत्रता आन्दोलन में जिन्हें फांसी दी गयी उनमें
77% सिख थे और जिन्हें उम्र कैद दी गई उनमें से 81% सिख थे.
सिखों ने देश और धर्म को बचाने के लिए तो कुर्बानियां दी ही हैं,
इसके अलावा भी उनके कई योगदान हैं. भारत में 40% चावल और 51%
गेंहू पंजाब के किसान उगाते हैं. ये सभी घटनाएं बताती हैं कि
यदि सिखों ने ये कुर्बानियां न दी होती, तो भारत का इतिहास आज
कुछ और ही होता.
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