दुःख --संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है उससे अधिक दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना है ,इन दोनों से दुखी वह है जो सदा रोगी रहता है और सबसे अधिक दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्ट हो --विदुर निति
विचित्र बात यह है की सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का अंश है --खलील जिब्रान
ईश्वर मनुष्य को गहरे पानी में डुबाने के लिए नहीं नहलाने के लिए लाता है -औघे
एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ की दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं --विवेकानंद
यदि मनुष्य पाप कर भी ले तो उसे पुनः न दोहराय न छिपाय न उसमे रत हो पाप का संचय ही सब दुखों का मूल है --बुद्ध
देशभक्ति --दुरात्मा के लिए देशभक्ति अंतिम शरण है --जॉनसन
जब तक तुम मनुष्य जाती में से देशभक्ति निकाल कर नहीं फेंकते शांति स्थापित नहीं कर पाओगे --बर्नार्ड शॉ
यदि देशभक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित हैं तो उसका कोई अर्थ नहीं है --गाँधी
देह--देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है--गाँधी
देह धरे का दंड सबको मिलता है ज्ञानी उसको ज्ञानपूर्वक सहते हैं और अज्ञानी रोकर--कबीर
देह एक रथ है इन्द्रिय उसमे घोड़े हैं बुद्धि सारथि और मन लगाम है केवल देह पोषण करना आत्मघात करना है --ज्ञानेश्वरी
दोष--तू दूसरे की आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल --बाइबिल
साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी दूसरे को ठहराते हैं अल्पज्ञानी स्वयं को और विशेष ज्ञानी किसी को भी नहीं --एपिक्टेटस
क्या तुमने उस आदमी को नहीं सुना जो सूर्य को इसलिए दोष देता है की वो उसकी सिगरेट नहीं जलाता --कार्लाइल
द्विविधा --सत् नाम कड़वा लगे ,मीठा लागे दाम दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम --कबीर
न खुदा ही मिला न विसाले सनम --अज्ञात
जब मुझे सूझ नहीं पड़ता करूँ या न करूँ तो मैं हमेशा कुछ करता हूँ --नेल्सन
धन--धन बुद्धिमान की सेवा करता है और मूर्ख पर शासन --कहावत
क्या तुम जानना चाहते हो धन क्या है जाओ कुछ उधार ले आओ --कहावत
धन की तीन तरह की गति होती है दान भोग और नाश जो न देता है न खाता है --हितोपदेश
संस्कृत में धन को द्रव्य कहते हैं बहनेवाला अगर स्थिर रहा तो रुके पानी की तरह बदबू देगा --विनोबा
विपत्ति के लिए धन को बचाना चाहिए ,स्त्री और धन से स्वयं को बचाना चाहिए --विदुर
आत्मा की किसी वास्तु को खरीदने के लिए धन की आवश्यकता नहीं --थोरो
जो अधिक धनवान है वो अधिक मोहताज --शेख सादी
अमीर और गरीब का फर्क कितना नगण्य है एक दिन की भूख और एक घंटे की प्यास दोनों को सामान बना देती है --खलील जिब्रान
जहाँ धन है वहां शैतान जहाँ धन नहीं है वहां और भी बड़ा शैतान है --जर्मन कहावत
विचित्र बात यह है की सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का अंश है --खलील जिब्रान
ईश्वर मनुष्य को गहरे पानी में डुबाने के लिए नहीं नहलाने के लिए लाता है -औघे
एक बात जो मैं दिन की तरह स्पष्ट देखता हूँ की दुःख का कारण अज्ञान है और कुछ नहीं --विवेकानंद
यदि मनुष्य पाप कर भी ले तो उसे पुनः न दोहराय न छिपाय न उसमे रत हो पाप का संचय ही सब दुखों का मूल है --बुद्ध
देशभक्ति --दुरात्मा के लिए देशभक्ति अंतिम शरण है --जॉनसन
जब तक तुम मनुष्य जाती में से देशभक्ति निकाल कर नहीं फेंकते शांति स्थापित नहीं कर पाओगे --बर्नार्ड शॉ
यदि देशभक्ति का मतलब व्यापक मानव मात्र का हित हैं तो उसका कोई अर्थ नहीं है --गाँधी
देह--देह आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसी पवित्र है--गाँधी
देह धरे का दंड सबको मिलता है ज्ञानी उसको ज्ञानपूर्वक सहते हैं और अज्ञानी रोकर--कबीर
देह एक रथ है इन्द्रिय उसमे घोड़े हैं बुद्धि सारथि और मन लगाम है केवल देह पोषण करना आत्मघात करना है --ज्ञानेश्वरी
दोष--तू दूसरे की आँख का तिनका क्यों देखता है अपनी आँख का शहतीर तो निकाल --बाइबिल
साधारण लोग अपनी हर बुराई का दोषी दूसरे को ठहराते हैं अल्पज्ञानी स्वयं को और विशेष ज्ञानी किसी को भी नहीं --एपिक्टेटस
क्या तुमने उस आदमी को नहीं सुना जो सूर्य को इसलिए दोष देता है की वो उसकी सिगरेट नहीं जलाता --कार्लाइल
द्विविधा --सत् नाम कड़वा लगे ,मीठा लागे दाम दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम --कबीर
न खुदा ही मिला न विसाले सनम --अज्ञात
जब मुझे सूझ नहीं पड़ता करूँ या न करूँ तो मैं हमेशा कुछ करता हूँ --नेल्सन
धन--धन बुद्धिमान की सेवा करता है और मूर्ख पर शासन --कहावत
क्या तुम जानना चाहते हो धन क्या है जाओ कुछ उधार ले आओ --कहावत
धन की तीन तरह की गति होती है दान भोग और नाश जो न देता है न खाता है --हितोपदेश
संस्कृत में धन को द्रव्य कहते हैं बहनेवाला अगर स्थिर रहा तो रुके पानी की तरह बदबू देगा --विनोबा
विपत्ति के लिए धन को बचाना चाहिए ,स्त्री और धन से स्वयं को बचाना चाहिए --विदुर
आत्मा की किसी वास्तु को खरीदने के लिए धन की आवश्यकता नहीं --थोरो
जो अधिक धनवान है वो अधिक मोहताज --शेख सादी
अमीर और गरीब का फर्क कितना नगण्य है एक दिन की भूख और एक घंटे की प्यास दोनों को सामान बना देती है --खलील जिब्रान
जहाँ धन है वहां शैतान जहाँ धन नहीं है वहां और भी बड़ा शैतान है --जर्मन कहावत
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