आसक्ति --यदि तुमने आसक्ति का राशन नष्ट कर दिया तो इच्छुक वस्तुएं तुम्हारी पूजा करने लगेंगी --रामतीर्थ
स्त्री पर कौन आसक्त होगा जो अनुराग करने वाले पर वैराग्य करती है। मैं तो उस मुक्ति को चाहता हूँ जो वैराग्य करने वालों पर अनुराग करती हैं --संस्कृत सूक्ति
फूल चुन कर इकट्ठा करने के लिए मत ठहरो आगे बढे चलो तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे--टैगोर
कहते हैं जिसको इश्क खलल है दिमाग का --ग़ालिब
इतिहास--पूरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है --महाभारत
इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने को दोहराता है --विनोबा
इतिहास मानव के अपराधों मूर्खताओं और दुर्भाग्यों के रजिस्टर के सिवाय कुछ नहीं --गिबन
इन्द्रियां --जिसने इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया उसे स्त्री तृण तुल्य जान पड़ती है --चाणक्य
अविवेकी और चंचल आदमी की इन्द्रियाँ बेखबर सारथि के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं --कठोपनिषद
जैसे कछुआ अपने अंगों को समेत लेता है उसी प्रकार जब मनुष्य अपनी इन्द्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है --महाभारत
ईश्वर --सब इन्द्रियों को वश में रख कर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल अचिन्त्य एवं सर्व व्यापी अवर्णनीय अविनाशी स्वरुप की उपासना करते हैं वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए भी मुझे ही पाते हैं --भगवन कृष्ण
ईश्वर एक है और यह एकता को पसंद करता है
ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर बुद्धि से परे है -गाँधी
यदि ईश्वर नहीं है तो उसका आविष्कार कर लेना ज़रूरी है --वॉल्टेयर
आखिर ईश्वर है क्या एक शाश्वत बालक जो शाश्वत बाग में शाश्वत खेल कहे रहा है --अरविन्द
ईश्वर बड़े बड़े साम्राज्यों से अलग हो सकता है लेकिन छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता
टैगोर
मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद मुख्यतः उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता --शेख सादी
स्त्री पर कौन आसक्त होगा जो अनुराग करने वाले पर वैराग्य करती है। मैं तो उस मुक्ति को चाहता हूँ जो वैराग्य करने वालों पर अनुराग करती हैं --संस्कृत सूक्ति
फूल चुन कर इकट्ठा करने के लिए मत ठहरो आगे बढे चलो तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे--टैगोर
कहते हैं जिसको इश्क खलल है दिमाग का --ग़ालिब
इतिहास--पूरे यत्न से इतिहास की रक्षा करनी चाहिए अपना प्राचीन गौरव नष्ट कर देने से विनाश निश्चित है --महाभारत
इतिहास के तजुर्बों से हम सबक नहीं लेते इसीलिए इतिहास अपने को दोहराता है --विनोबा
इतिहास मानव के अपराधों मूर्खताओं और दुर्भाग्यों के रजिस्टर के सिवाय कुछ नहीं --गिबन
इन्द्रियां --जिसने इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया उसे स्त्री तृण तुल्य जान पड़ती है --चाणक्य
अविवेकी और चंचल आदमी की इन्द्रियाँ बेखबर सारथि के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं --कठोपनिषद
जैसे कछुआ अपने अंगों को समेत लेता है उसी प्रकार जब मनुष्य अपनी इन्द्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है --महाभारत
ईश्वर --सब इन्द्रियों को वश में रख कर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल अचिन्त्य एवं सर्व व्यापी अवर्णनीय अविनाशी स्वरुप की उपासना करते हैं वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए भी मुझे ही पाते हैं --भगवन कृष्ण
ईश्वर एक है और यह एकता को पसंद करता है
ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर बुद्धि से परे है -गाँधी
यदि ईश्वर नहीं है तो उसका आविष्कार कर लेना ज़रूरी है --वॉल्टेयर
आखिर ईश्वर है क्या एक शाश्वत बालक जो शाश्वत बाग में शाश्वत खेल कहे रहा है --अरविन्द
ईश्वर बड़े बड़े साम्राज्यों से अलग हो सकता है लेकिन छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता
टैगोर
मैं ईश्वर से डरता हूँ और ईश्वर के बाद मुख्यतः उससे डरता हूँ जो ईश्वर से नहीं डरता --शेख सादी
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